वाराणसी: साथिया यानी कि साथ निभाने वाला. अक्सर साथिया को एक हमसफर के रूप में देखा जाता है. लेकिन आज हम आपको काशी के उस साथिया के बारे में बताने जा रहे हैं जो हमसफर तो नहीं है, लेकिन किशोरियों की जिंदगी में एक बेहतर मार्गदर्शक के रूप में काम कर रहा है. जी हां किशोरियों को जागरूक करने और उनके भीतर हो रहे द्वंद को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 'साथिया केंद्र' की शुरुआत की है.
किशोरियों की झिझक दूर कर उनका साथ निभा रहा 'साथिया'
वाराणसी में किशोरियों की जिंदगी में एक बेहतर मार्गदर्शक के रूप में 'साथिया' काम कर रहा है. जाने क्या है साथिया, कैसे करता है ये किशोरियों की मदद?
2012 से संचालित हो रहा केंद्र:साथिया केंद्र की काउंसलर सारिका चौरसिया ने बताया कि 2012 से यह केंद्र संचालित हो रहा है. इसमें 12 से लेकर के 19 वर्ष की किशोरियों के साथ उनके अभिभावकों की भी काउंसलिंग की जाती है. उन्होंने बताया कि इस केंद्र पर हर माह लगभग 400 से अधिक किशोरियां आती हैं और अपनी समस्याओं को साझा करती हैं. शुरुआत के दौर में बेटियां उनके परिवार वाले झिझक करते थे. लेकिन जैसे-जैसे उनकी काउंसलिंग की गई उनके संकोच दूर हो गए. अब यहां अकेले बेटियां आकर खुल करके अपनी बात रखती हैं और उनके समस्याओं को जानने के बाद उन्हें उचित सलाह दिया जाता है. उन्होंने बताया कि सलाह लेने आने वाले किशोरियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही समय-समय पर वह स्कूलों में जाकर के भी बच्चियों की काउंसलिंग करती हैं.
अभिभावकों को मिल रही मदद:अपने बच्चे की काउंसलिंग कराने आई एक अभिभावक ने बताया कि वह पहली बार इस केंद्र में आई हैं. जहां उन्हें बहुत सारी जानकारी मिली है. उन्होंने बताया कि यह बहुत सार्थक कदम है. क्योंकि बच्चियां अक्सर मां बाप से भी कुछ बातें नहीं शेयर कर पाती ऐसे में वो यहां आकर के काउंसलर को अपनी बातें बता सकती हैं. जिससे उनके समस्याओं का समाधान हो जाएगा और हम अभिभावकों के तनाव भी कम होंगे. क्योंकि हमारी बच्चियां सही मार्गदर्शन में आगे बढ़ रही हैं.
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