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किसानों के हाथ से बाहर निकल चुका है आंदोलन - बंगाल में लोकतंत्र और संविधान खतरे में, बोले इंद्रेश कुमार

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार पहुंचे. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि किसानों का आंदोलन अब किसानों के हाथ से निकल चुका है. इसमें देशविरोधी ताकतें शामिल हो चुकी हैं.

वाराणसी में कार्यक्रम
वाराणसी में कार्यक्रम

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Published : Dec 13, 2020, 10:54 AM IST

वाराणसीः जिले में शनिवार को एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन अब किसानों के हाथ से निकल चुका है. इसमें देशविरोधी ताकतें व राजनीतिक दल शामिल हो चुके हैं. वहीं, बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले की निंदा की. कहा, बंगाल में लोकतंत्र और संविधान खतरे में है.

बंगाल में कुचला जा रहा संविधान
इंद्रेश कुमार ने प. बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले पर कहा कि बंगाल के बारे में एक बात मानकर चलना चाहिए कि वहां संविधान और लोकतंत्र का पूरा अपमान, उपहास और अवहेलना है. यह दुःखद है. भारत के हर राजनेता को, भारत के संविधान, अहिंसा परमो धर्म और सबकी स्वतंत्रता को ध्यान में रखकर ही आचरण करना चाहिए. बंगाल इस समय एक किस्म से लोकतंत्र और संविधान को कुचलने के लिए ममता जी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है, जो बहुत दुखद है.

किसानों का आंदोलन भारत तोड़ने वाले हाथो में चला गया है
इंद्रेश कुमार ने किसानों के आंदोलन पर कहा कि किसान आंदोलन, किसानों के हाथ से निकल चुका है. मैंने भी कुछ समय पूर्व किसानों से यह प्रार्थना की थी कि आप अन्नदाता हैं, देश आपको प्रेम करता है और सम्मान भी करता है. आपका आंदोलन अल्ट्रा लेफ्ट, अल्ट्रा वेस्ट, जो मोस्ट अनड्रेमोकेटिक टाइप के लोग हैं, उनके हाथ में जाते जाते भारत को तोड़ने में जो काम करते हैं ऐसी ताकतों के हाथ में चला गया है. इंद्रेश कुमार ने किसानों से आग्रह किया कि अपने आंदोलन की आप अल्ट्रा लेफ्ट और जो सूडो सेक्‍युलरि‍स्‍ट हैं उनसे रक्षा करिए. जो हिंसा में, भारत को तोड़ने में लगे हैं, उनसे अपनी रक्षा करिए अन्यथा ये आंदोलन किसानों के लिए ही घातक हो जाएगा.

किसान राष्ट्रविरोधी ताकतों से अपने आंदोलन की करें रक्षा
इंद्रेश कुमार ने कहा कि किसान राजनीतिक दलों और देश को तोड़ने वाले अराजकतत्वों से अलग हों. भारत सरकार ने उन्हें संजीदगी से सुना है. समस्याओं का समाधान किया है. किसान हित के किसान बिलों के साथ जो भी उन्होंने सुधार कहे हैं सरकार ने वो स्वीकार किए हैं. इसलिए वार्ता को रिजेक्ट करना, किसानों ने नहीं किया ये राजनीतिक दलों और अराजक तत्वों ने किया है. उन्होंने किसानों से कहा कि अपने आंदोलन को ठीक रास्ते पर लेकर जाएं और देश की जनता को किसी तरह का कष्ट पहुंचे. उन्होंने कहा कि जो आज सत्ता में बैठे हैं इन्होंने 40-50 साल देश में धरने प्रदर्शन किए हैं, सत्ता के संघर्ष में परन्तु उन्होंने कभी अराजकता अपने आंदोलन से नहीं की है. वहीं उन्होंने कहा कि किसानों को राष्ट्रविरोधी ताकतों से अपने आंदोलन की रक्षा करनी चाहिए.

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