वाराणसी:बनारस की गलियां, यहां की साड़ी, बनारसी पान और यहां की मिठाईयां यही सब चीजें बनारस को बेहद खास बनाती हैं, लेकिन अगर आपको यह पता चले कि बनारस में बनने वाली मिठाइयां देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं, तो इसे सुनकर चौंक जाना लाजमी है. ईटीवी भारत कुछ ऐसी ही मिठाइयों के बारे में बताने जा रहा है जिन्हे देखकर ही आपके रोम-रोम में देशभक्ति का जज्बा भर जाएगा.
बनारस में बनने वाली इन मिठाइयों का तिरंगे और स्वतंत्रता आंदोलन के साथ कुछ खास रिश्ता है. पक्के महाल में बनकर तैयार हुई यह मिठाईयां बनारस की शान कही जाती हैं. दरअसल बनारस की जान कहे जाने वाले पक्के महाल की कुछ पुरानी दुकानों पर तिरंगी बर्फी लोगों को लुभाती है. यह मिठाइयां मुंह में पानी लाने के लिए काफी हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि तिरंगी बर्फी देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का सूत्रधार हुआ करती थी.
पक्के महाल का ठठेरी बाजार तिरंगी बर्फी की कहानी सुनाता है, जहां एक पुरानी मिठाई की दुकान चलाने वाले हनुमान प्रसाद और रघुनाथ प्रसाद ने महात्मा गांधी के नमक आंदोलन में बनारस की भागीदारी करने की ठानी और फिर अपनी ही मिठाई की दुकान में एक ऐसी मिठाई बनाना शुरू किया जिससे न सिर्फ आजादी के नारे को घर-घर पहुंचाया जा सकता था बल्कि लोगों का मुंह भी मीठा किया जा सकता था. इस मिठाई का नाम रखा गया 'तिरंगी'. बिल्कुल सफेद और हरे रंग की बर्फी आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को एकजुट करने और संघर्ष करने का संदेश देने में कामयाब हो रही थी.