वाराणसी: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही छोटी राजनैतिक पार्टियों में एक अलग सी तेजी आ गई है. अपने कार्यकर्ताओं को जुटाने में छोटी पार्टियां लग गई हैं. वहीं लोगों का मानना है कि इस तरह की छोटी पार्टियों की वजह से भारत में होने वाले चुनाव को काफी नुकसान पहुंचता है. यह क्षेत्रीय पार्टियां यूपी और बिहार में जातिगत समीकरण की वजह से राजनीति में बनी होती हैं.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छोटी पार्टियों को भी साथ लिया, जिसकी वजह से छोटी पार्टियों को भी उभरने का मौका मिला. उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनावों को अक्सर जातिगत समीकरण के आधार पर जीतने की कोशिश की जाती है. वहीं छोटी पार्टियां जातियों को लुभाने का प्रयास करती हैं और अपने रैलियों में भीड़ भी जुटा लेती हैं, जिसका सीधा असर बड़ी पार्टियों पर पड़ता है. बड़ी पार्टियां, इन छोटी पार्टियों को 'वोट कटवा' की भूमिका में मानती हैं. वहीं चुनाव आते-आते सारी बड़ी पार्टियां इन छोटी पार्टियों के गठजोड़ में लग जाती हैं.