वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर में कैंसर पर रिसर्च के बाद कई बड़े तथ्य सामने आए हैं. सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर (CGD) में हुए एक रिसर्च यह पचा चला है कि कैंसर के इलाज में काम आने वाली दवा से ही कैंसर को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है. जेनेटिक टेस्ट करके ब्लड कैंसर या ल्यूकेमिया जैसी जानलेवा बीमारी को किसी भी स्टेज में रोका जा सकता है. रिसर्च के दौरान यह भी देखा गया कि जो दवाएं बाकी के ल्यूकेमिया को ठीक करने के लिए दी जा रही हैं, वही दवा MDS सिंड्रोम पर भी काम कर रही है.
रिसर्च कैंसर जेनेटिक्स जर्नल में प्रकाशित
सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर के को-आर्डिनेटर वैज्ञानिक डॉ. अख्तर अली और उनके रिसर्चर अजीत कुमार, IMS-BHU के प्रो. विजय तिलक के साथ ही कई डॉक्टरों की टीम ने मिलकर ब्लड कैंसर रोगियों पर एक रिसर्च किया है. यह रिसर्च कैंसर जेनेटिक्स जर्नल में प्रकाशित भी हुआ है. इस रिसर्च में ब्लड कैंसर को लेकर कई तथ्य समाने आए हैं. इसमें यह भी पता लगाया गया है कि ब्लड कैंसर या ल्यूकेमिया जैसी जानलेवा बीमारी को किसी भी स्टेज में रोका जा सकता है.
ब्लड कैंसर के 2500 रोगियों पर किया गया शोध
दरअसल, ब्लड कैंसर के करीब 2500 रोगियों पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रिसर्च किया गया है. रिसर्च में यह पता चला है कि कैंसर के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाओं से ही कैंसर को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है. रिसर्च के दौरान यह भी तथ्य सामने आया कि शोध में शामिल उन 2500 लोगों में जिसने भी दवा का इस्तेमाल किया था, उनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई थी. शोध में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि जेनेटिक टेस्ट करके ब्लड कैंसर या ल्यूकेमिया जैसी जानलेवा बीमारी को पहले या अंतिम किसी भी स्टेज में रोका जा सकता है.