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संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में नियुक्ति को लेकर धांधली, 17 पदों पर नियम के विरुद्ध नियुक्ति - Rigged in Sampurnanand Sanskrit University

वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी (Sampurnanand Sanskrit University ) में फिर नियुक्ति में धांधली की गई है, जिसके चलते छात्रों ने राजयपाल से कुलपति को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है.

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संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी

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Published : Sep 25, 2022, 10:50 PM IST

वाराणसी:काशी के संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी (Sampurnanand Sanskrit University ) में एक बार फिर नियुक्ति में धांधली का मामला सामने आया है. इसकी लिखित शिकायत अध्यापक संघ (teachers union) ने यूनिवर्सिटी के कुलपति से की है. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी पर शिक्षक पात्रता परीक्षा के बाद अब संबद्ध संस्कृत कॉलेजों की भर्ती में भी धांधली करने के आरोप लगे हैं. इसको लेकर एक CCTV फुटेज भी दिखाया गया है.

दरअसल, शिक्षक संघ द्वारा आरोप लगाया गया है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के दो अध्यापकों विनय पाण्डेय और राम नारायण द्विवेदी ने भर्ती में धांधली की है. इसका बाकायदा सीसीटीवी वीडियो भी पेश किया गया है. आरोप ये है कि इंटरव्यू रूम में ये दोनों उस वक्त उपस्थित थे, जिस वक्त उनके विषय का साक्षात्कार नहीं था. इसके साथ ही इन्होंने 17 नियुक्तियों की लिफाफा अपने हाथ से लिखकर दिया, जो पूरी तरह नियम के विरुद्ध हैं.

अध्यापक संघ महामंत्री प्रो अमित कुमार शुक्ल

कुलपति को बर्खास्त करने की मांग
छात्र ने राजयपाल से कुलपति को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अभ्यर्थियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है. छात्र ने आरोप लगाया कि इन्होंने अध्यापक पात्रता परीक्षा में भी धांधली की थी. विश्वविद्यालय में जहां-जहां नियुक्तियां हो रही हैं, वहां-वहां से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. छात्र ने बताया कि धांधली से जुड़ा एक नया वीडियो वायरल भी हो रहा है.

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नियुक्ति करने वालों के लिए है नियम
शिक्षक प्रो. अमित कुमार शुक्ल ने बताया कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के लिए यह व्यवस्था है कि वहां नियुक्ति प्रक्रिया में संबंधित महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र का प्रबंधक या प्राचार्य, संबंधित उप शिक्षा निदेशक और उस विषय के ऐसे दो विशेषज्ञ जिन्हें कम से कम दस वर्ष का अनुभव हो. इसके साथ ही जिस जिले में महाविद्यालय स्थित है उससे अलग जिले, लेकिन उसी मंडल के निवासी होने चहिए.

कुलपति ने नियमों की अवहेलना की है
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में कुलपति द्वारा परिनियम की धारा (11) (16) (2) के नियम की पूरी तरह से अवहेलना की जा रही है. विशेषज्ञ पैनल में कई ऐसे लोग हैं, जिनका अध्यापन अनुभव केवल दो साल ही है या उससे भी कम है. एक विशेषज्ञ ऐसे भी हैं जो पीएचडी नहीं हैं, दो वर्ष से कम अनुभव है, फिर भी उन्हें विषय विशेषज्ञ नियुक्त किया गया है.

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दो कैंडिडेट संबंधित महाविद्यालय से हैं
शिक्षक प्रो रामपूजन पाण्डेय ने बताया कि वायरल हो रहे वीडियो में जो दो व्यक्ति दिख रहे हैं वो दोनों अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट हैं. एक ज्योतिष के हैं और एक व्याकरण के एक्सपर्ट हैं. उन्होंने बताया कि जब दोनों ने व्याकरण की परीक्षा ली तो वहां से उन्हें चले जाना चाहिए था. जब परिणाम आ गया तो उनके लिफाफों को पढ़ रहे हैं, उसमें कुछ लिख रहे हैं. जो दो अन्य व्यक्ति दिख रहे हैं वो संबंधित महाविद्यालय से हैं और कैंडिडेट भी हैं. उनका रहना वहां उचित नहीं था.

500 से ज्यादा अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए गए
इसके साथ ही अध्यापक परिषद ने गोयनका संस्कृत महाविद्यालय में 27 अगस्त को हुई साक्षात्कार प्रक्रिया का सीसीटीवी फुटेज भी दिखाया. पदाधिकारियों के अनुसार दो दिन में यहां 500 से ज्यादा अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए गए. अंत में आवेदन करने वाले दो कर्मचारियों के सामने ही बीएचयू के दोनों विशेषज्ञ नियुक्ति पत्रों के लिफाफे तैयार कर रहे थे. अध्यक्ष व महामंत्री ने साक्षात्कार में दिए अंकों में ओवरराइटिंग और तिथि बीतने के बाद भी आवेदन स्वीकृत करने के साक्ष्य भी दिखाए.

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