कानपुर:कोरोना से पूरा देश जूझ रहा है. इस आपदा ने न जाने कितनों को अनाथ कर दिया, कितनों के घर उजाड़ दिए. कोई मासूम अनाथ हो गया तो किसी मां की गोद सूनी हो गई. लोगों की मदद के लिए सरकार भी हर मौके पर खड़ी रही. मगर, जहां एक तरफ देश में कोरोना की दूसरी लहर ने हजारों लोगों की जान ली तो वहीं कुछ लोग मुर्दों के नाम से रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी कर रहे थे.
दरअसल, दूसरी लहर में जब कोरोना अपनी चरम सीमा पर था यानि देश में हाहाकार मचा था, उस समय एशिया के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल हैलट में रेमडेसिविर इंजेक्शन मुर्दों के नाम से जारी कर दिए गए. मामला जब संज्ञान में आया तो हैलट के प्राचार्य ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच के आदेश दे दिए. जिसका संज्ञान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लेते हुए मामले विस्तृत रिपोर्ट जिला प्रशासन से तलब की थी. मेडिकल की तरफ गठित की गई जांच टीम में दो लोगों को निलंबित कर दिया गया था, जबकि जांच अभी चल रही है.
मामला कानपुर के हैलट अस्पताल का है, जहां कोरोना की दूसरी लहर में जब लोगों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जरूरत थी तब इस इंजेक्शन को कानपुर के हैलट अस्पताल में मुर्दों के नाम से जारी कर उन्हें ब्लैक में बेच दिया गया. जबकि मुख्यमंत्री की तरह से यह साफ निर्देश थे कि ऐसे लोगों को बिल्कुल बक्शा नहीं जाएगा और उन लोगों पर रासुका लगाई जाएगी. इस आदेश के बाद प्रशासन ने जो भी इस काले कारनामें में शामिल था उन सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया.