वाराणसी. क्षेत्रीय दल कहने में बहुत छोटे लगते हैं लेकिन इनका संघर्ष इनको पहचान दिलाने में सक्षम होता है. 2022 के विधानसभा चुनाव में यह तस्वीर और स्पष्ट हो जाती है. इस चुनाव में कुछ हिस्सों में छोटे दलों का संघर्ष दिखाई दिया जो काबिल-ए-तारीफ रहा. ऐसे में बात अगर पूर्वांचल की करें तो पूर्वांचल में क्षेत्रीय दलों ने कड़ी मेहनत भी की और पूर्वांचल की कई सीटों पर सूरमाओं को भी पटखनी दी है.
विधानसभा चुनाव के नितीजे आने के बाद भाजपा के साथ गठबंधन में अपना दल सोनेलाल, निषाद पार्टी और सपा गठबंधन में सुभासपा व अन्य छोटे दलों के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में यह थोड़े कम जरूर हैं लेकिन पार्टियों ने अपने इतिहास को दोहराने का काम किया है. अपना दल (एस) को 3, निषाद पार्टी को 3 और सुभासपा को भी 3 सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि 2017 के चुनाव में अपना दल एस को 4 सीटों का फायदा हुआ था.
इस बाबत राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश पांडेय ने बताया कि 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम से तुलना करें तो इस बार क्षेत्रीय दलों को थोड़ा नुकसान हुआ है. हालांकि पार्टी ने अंत तक हार नहीं मानी. उन्होंने कहा कि कुछ छोटे दलों को सीटों पर लाभ भी हुआ है. वहीं, सुभासपा की बात करें तो पार्टी को कोई नुकसान नहीं हुआ तो फायदा भी नहीं हुआ. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में उसके पास सीटें ज्यादा थी. इसलिए उनकी जीत के आसार अधिक थे. कई जगहों पर सुभासपा ने निराश किया है.
यह भी पढ़ें-बदायूं में भाजपा ने हरवाया 4 बीघा खेत, जानें पूरा मामला