वाराणसी:एक ओर जहां विश्वविद्यालय, स्कूल, कॉलेज में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की बात हो रही है. वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के अभाव के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई में काफी बाधाएं उत्पन्न हो रहीं हैं. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में पिछले 7-8 सालों से नए शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है. विश्वविद्यालय के कुछ विभाग संविदा और अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही चल रहे हैं. विद्यार्थियों की समस्या को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बार फिर से प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है.
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एक बार फिर शुरू हुई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया, कुल 72 पद हैं खाली
उत्तर प्रदेश के वाराणसी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 8 सालों बाद प्रोफेसरों की नियुक्ति होने जा रही है. विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और शिक्षकों के अभाव के कारण छात्रों की पढ़ाई में बाधाएं उत्पन्न हो रहीं थीं. वहीं इस वर्ष 72 रिक्त पदों के लिए प्रोफेसर और शिक्षकों की भर्ती होनी है, जिसके लिए विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पूरी जानकारी अपलोड कर दी गई है.
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया हुई शुरू
वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में शिक्षकों के रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर से आरंभ हो गई है. काशी विद्यापीठ में कुल 72 रिक्त पदों में 16 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और 44 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं. इस संबंध में विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पूरी जानकारी भी अपलोड कर दी गई है. विश्वविद्यालय में शिक्षकों के लिए सबसे अधिक पद राजनीतिक विज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में खाली हैं. रिक्त पदों को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पूर्व कुलपति प्रो. पी नाग के कार्यकाल में भर्ती प्रक्रिया शुरू जरूर की गई थी, लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण इसे बीच में ही स्थगित करना पड़ा था.
आचार संहिता लागू होने से पहले कई लोगों के साक्षात्कार हो गए थे. इसके बाद 12 नए शिक्षकों की नियुक्त भी की गई थी. लेकिन अन्य विषयों में पद खाली रह गए थे और शिक्षकों के पद खाली रहने के कारण विभागों में अतिथि और संविदा शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई हो रही है, इसके कारण विद्यार्थियों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.