उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

सुस्त पड़ा कबीरचौरा को चमकाने का प्लान, कबीर की झोपड़ी में नहीं गूंजी अमृतवाणी - संत कबीर

संत कबीर की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहे कबीरचौरा में इस महान संत की यादें जुड़ी हैं. कबीरचौरा में एक करोड़ की लागत से संत कबीर की झोपड़ी बना दी गई मगर प्लान के मुताबिक बाकी के बड़े काम भी अभी भी पूरा नहीं हुआ है (reconstruction of Kabirchaura in Varanasi). जानिए क्यों अधर में लटका है मामला.

Etv Bharat Kabirchaura in Varanasi
Etv Bharat Kabirchaura in Varanasi

By

Published : Nov 28, 2022, 5:39 PM IST

वाराणसी :वैसे तो संत कबीर को पहचान के लिए किसी स्मारक के मोहताज नहीं हैं, उनके दोहों ने ही उन्हें आम लोगों से जोड़ रखा है. मगर इस महान संत की याद में घोषित स्मारक कबीरचौरा आज भी घोषणाओं में ही अटका पड़ा है. बनारस में कबीर साहब की स्मृतियों को सहेजने के लिए लिए बनाया गया सरकारी प्लान सिर्फ फाइलों में ही दबा है. कबीर की कर्म स्थली के रूप में विख्यात कबीरचौरा को हाईटेक झोपड़ी तो बना दी गई, मगर संग्रहालय अभी धरातल पर नहीं उतरा है. नतीजा कबीर की झोपड़ी ( Kabir ki jhopri) लोगों के लिए अभी भी बंद ही है.

कबीरचौरा की स्पेशल रिपोर्ट.

कबीर की कर्मभूमि कबीरचौरा से संत के बचपन से जवानी तक की जिंदगी जुड़ी है. यहां पर वह अपने माता-पिता के साथ रहते थे. यहां कबीर ने न जाने कितने दोहे रचे. इसी स्थान पर कबीर की स्मृतियों को जीवित रखने की प्लानिंग की गई. 2019 में प्लान के अनुसार, कबीरचौरा में लगभग 24 करोड़ की लागत से बनाई जाने वाल कबीर की हाईटेक झोपड़ी में उनकी स्मृतियों को सहेजना था. साथ ही इसमें कबीर पंथ से जुड़े अन्य संतों की स्मृति को भी संग्रहालय के तौर पर डिवेलप करने की प्लानिंग की गई थी. मगर दो साल बाद भी संग्रहालय के प्लान को फाइनल स्टेज तक नहीं पहुंचाया जा सका है.

प्लान के मुताबिक, इस हाईटेक झोपड़ी में कबीर अपनी जीवन गाथा खुद बताने वाले थे. इस झोपड़ी में मौजूद हथकरघा, उनकी आवाज और कबीर साहब से जुड़ी तमाम स्मृतियों को रखा जाना था. पर्यटकों को इस स्थल पर 8 मिनट में कबीर की पूरी जीवन गाथा ऑडियो रिकॉर्डिंग के जरिए सुनाने की प्लानिंग की गई थी. 2011 में एक करोड़ से ज्यादा की लागत से इस प्लान को शुरू किया गया था. योगी सरकार ने 2019-20 के बजट में कबीर की जन्मस्थली को चमकाने के लिए 24 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. 2020 में नीदरलैंड और जर्मनी की तकनीक के सहारे इस पूरे प्रोजेक्ट को फाइनल टच दिया गया. 2021 में कबीर चौराहा पर संत कबीर की झोपड़ी तैयार हो गई. इसमें संग्रहालय की स्थापना का जिम्मा केंद्र सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय ने लिया था. झोपड़ी तो बनकर तैयार हो गई लेकिन इसे पब्लिक के लिए नहीं खोला गया. संग्राहलय का काम भी अधर में लटका है.

मठ और मंत्रालय में फंसा है पेंच : इस प्रोजेक्ट में पेंच मठ और सांस्कृतिक मंत्रालय के बीच फंसा है. कबीर मठ के प्रमुख संत विवेकदास आचार्य का कहना है कि सरकार यह चाह रही है कि हम जमीन उनको दे दें और पूरा ऑपरेशन सरकार के हाथ में रहे. मगर कबीर मठ का कहना है कि मठ हमारा है इसलिए ऑपरेशन हम करेंगे. सरकार इस पूरे प्रोजेक्ट को तैयार करके कबीर साहब के जीवन से लोगों को परिचित कराने का काम करें, लेकिन इसकी देखरेख का जिम्मा कबीर मठ के पास ही रहे. विवेक दास ने बताया कि अभी संग्रहालय का काम शुरू ही नहीं हुआ है और झोपड़ी बनकर तैयार है. अब लोग इसमें कबीर की आवाज गूंजने का इंतजार कर रहे हैं.

इस प्रोजेक्ट के जुड़े वाराणसी में अधिकारियों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के पास है और केंद्र सरकार इसकी निगरानी भी कर रही है. पूरा प्रोजेक्ट भी फाइनल करने की तैयारी में है, इसलिए इस बारे में वह बहुत कुछ बताने की स्थिति में नहीं है.

पढ़ें : यूपी में नई पर्यटन नीति को मंजूरी, रामायण और महाभारत सर्किट बनेंगे

ABOUT THE AUTHOR

...view details