वाराणसी: केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, सभी महिला सुरक्षा व स्वास्थ्य की बात करती हैं. सरकार के द्वारा तमाम योजनाओं का संचालन भी किया जाता है ताकि महिलाएं सुरक्षित और स्वस्थ रहें. इसी क्रम में केंद्र सरकार के द्वारा एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई, जिसमें महिलाओं को महावारी (Menstural Cycle) के विषय में जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें नैपकिन (Napkin) को प्रयोग में लाने के लिए प्रेरित किया गया, क्योंकि आज भी लगभग 50 से 60 फीसदी ग्रामीण महिलाएं व शहर में रहने वाली लगभग 40 फीसदी महिलाएं नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करतीं, जिसके कारण वे कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाती हैं.
इस प्रोजेक्ट के तहत पूरे सूबे में सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन (Sanitary Vending Napkin Machine) लगाई गई. साथ ही कर्मचारियों के द्वारा महिलाओं तक नैपकिन को पहुंचाने की व्यवस्था की गई, जिससे कि वह इसका इस्तेमाल कर अपने आप को स्वस्थ रख सकें. वर्तमान में इन मशीनों की क्या स्थिति है, उसको लेकर के ईटीवी भारत (ETV BHARAT) की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र (Parliamentary Constituency) वाराणसी (Varanasi) के रेलवे स्टेशन, डिलक्स शौचालय (Deluxe Toilet) जाकर रियलिटी चेक (Reality Check) किया.
पांच का सिक्का डालने पर मिलती है नैपकीन
बता दें कि पायलट योजना के तहत महिलाओं की सुरक्षा (Women Safety) के लिए सरकार ने सूबे के सभी डीलक्स शौचालय, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर मौजूद शौचालय व पिंक टॉयलेट में सेनेटरी वेंडिंग नैपकिन मशीन लगाने की योजना संचालित की गईं थी, जिसके तहत सभी जनपद के शौचालयों में यह व्यवस्था भी की गई थी. इस योजना के तहत लगी वेंडिंग नैपकिन मशीन में पांच का सिक्का डालने के बाद महिलाओं को एक नैपकिन मिलती है.
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वर्तमान में सभी मशीनें हैं निष्क्रिय
रियलिटी चेक के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि योजना के क्रम में एक निजी कंपनी के द्वारा वाराणसी के कुल 24 डीलक्स शौचालय व पिंक टॉयलेट तथा बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन के शौचालय में मशीनें स्थापित की गई थीं, जिससे कि महिलाएं उसका लाभ ले सकें. लेकिन कुछ दिनों बाद ही मशीनें निष्क्रिय हो गई और बीते दो साल से उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जा रहा है. वर्तमान में यह मशीनें महज एक खाली डिब्बे के रूप में मौजूद हैं.
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विभागीय सूत्रों की मानें तो नगर निगम ने जिन निजी कंपनियों के द्वारा इन मशीनों को शौचालयों में स्थापित कराया, उनसे रखरखाव के संबंध में किसी भी प्रकार का कोई बांड नहीं बना था. इस लिहाज से उन कंपनियों ने शौचालय में मशीन स्थापित करने के बाद चली गईं. उसके बाद नगर निगम या संबंधित विभाग ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण ये मशीनें निष्क्रिय हो गईं.