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मन फेरने के लिए निकले जगत के पालनहार भगवान जगन्नाथ, कल से शुरू रथयात्रा मेला

काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, लेकिन यहां जितनी श्रद्धा से भगवान शिव को पूजा जाता है उतने ही श्रद्धा से भगवान विष्णु और आदिशक्ति मां दुर्गा की भी पूजा कि जाती है. काशी के लोगों की यह परंपरा है सभी भक्त शोभायात्रा में निकल पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए.

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Published : Jul 3, 2019, 6:56 PM IST

सैर पर निकले भगवान जगन्नाथ

वाराणसीः बनारस के लक्खा मेला में शुमार है विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा मेला. आज के दिन अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ भगवान की डोली निकलती है. भगवान जगन्नाथ की शोभा यात्रा बड़े धूमधाम से ढोल, नगाड़े, ध्वजा, शंखनाद और डमरु के थाप पर अस्सी जगन्नाथ मंदिर से लेकर रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग तक निकाला गयी.

सैर पर निकले भगवान जगन्नाथ.
तीन दिनों तक चलेगा रथयात्रा मेला-
  • भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ दोपहर में भगवान की विधि विधान से पूजा की गई.
  • सैकड़ों भक्तों के साथ भगवान को डोली में बैठाकर अस्सी से लेकर विभिन्न स्थानों से होते हुए शंकुधारा पोखरा स्थित भगवान द्वारिकाधीश के मंदिर तक ले जाया जाता है.
  • जहां भगवान कुछ देर तक विश्राम करते हैं.
  • फिर भगवान की डोली सैकड़ों भक्तों के साथ जय श्री राम, जय जगन्नाथ के नारों के साथ बेनी राम बाग ले जाया जाता है.
  • यहां पर भगवान रात्रि में विश्राम करते हैं और इनको भोग लगाया जाता है.
  • सुबह यहीं से भगवान रथ में बैठकर रथयात्रा मेले की शुरुआत करते हैं. यह मेला तीन दिनों तक चलता है.

यह सैकड़ों वर्ष पुरानी हमारी परंपरा है, आज के दिन अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ भगवान की डोली निकलती है. काशी के लोगों की यह परंपरा है. क्या बच्चे, क्या महिलाएं सभी शोभायात्रा में निकल पड़े हैं, भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए.
-अजय राय, पूर्व विधायक

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