वाराणसी :संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थापित सरस्वती पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों को डिजिटलाइज्ड किया जाएगा. इसके लिए बकायदा विश्वविद्यालय की ओर से शासन को लगभग 43 करोड़ रुपये की परियोजना बना करके भेजी गई है. शासन की स्वीकृति के बाद इस पर कार्य किया जाएगा. 1914 में बने सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना 1791 में कड़क घंटा मोहल्ले में हुई थी जहां 1960 में प्रिंस ऑफ वेल्स के निरीक्षण के बाद इसे विश्वविद्यालय के परिसर में स्थापित किया गया. इसके बाद यह विश्वविद्यालय में पूरी तरीके से पुस्तकालय बन गया और यह देश का सबसे प्राचीनतम पुस्तकालय है जहां हस्तलिखित दुर्लभ पांडुलिपियों संरक्षित हैं.
43 करोड़ रुपये से संरक्षित होंगी दुर्लभ पांडुलिपियां :विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरिराम त्रिपाठी ने बताया कि सरस्वती भवन में संरक्षित लगभग एक लाख दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण एवं डिजिटलाइजेशन के लिए 42 करोड़ 74 लाख 98 हजार की परियोजना बना करके केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार को भेजा गया है. उन्होंने बताया कि बीते माह शासन की ओर आयोजित बैठक में दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए निर्देशित किया गया था. एक परियोजना शासन को भेजने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद विवि प्रशासन ने 29 अप्रैल को 5 सदस्यों वाली कमेटी गठित कर इस संबंध में परियोजना बनाने का निर्णय लिया. इस परियोजना को सरकार तक प्रेषित किया गया है.