वाराणसी :राम मंदिरों की गांव–गांव में स्थापना, अंतिम व्यक्ति तक राम नाम पहुंचाने व राम मंदिरों में पुजारी बनाने के लिए रामपंथ की ओर से दीक्षा संस्कार का आयोजन लमही स्थित श्रीराम आश्रम में किया गया. वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए पिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों के चेहरों पर प्रसन्नता और संतोष के भाव दिखे.
गौरतलब है कि सनातन धर्म में सर्वोच्च सम्मान संतों, महात्माओं और पुजारियों को है. रामपंथ ने सनातन धर्म को व्यवहारिक रूप से समावेशी बनाने के लिए सूत्र दिया ‘सबके राम, सबमें राम’. वहीं, काशी के पुरोहित पंडित श्रीराम तिवारी ने वैदिक मंत्रों के साथ सभी दीक्षा लेने वाले राम प्रेमियों से हवन कराया. तिलक लगाया और गंगा जल से आचमन कराने के बाद गुरूमंत्र लेने के लिए संकल्पित कराया.
वहीं, रामपंथ के संस्थापक इंद्रेश कुमार ने सभी पिछड़े समाज के लोगों के गले में तुलसी की कंठी डाली, रामनामी यंत्र दिया और कान में राम नाम का गुरूमंत्र दिया. गुरूमंत्र लेने के बाद सभी रामपंथियों के चेहरे खिल उठे.
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