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अयोध्या में काशी की परंपरा: रामलला के दरबार में गूंजेगी बनारस की शहनाई, होगा मंगलगान

Ram Mandir Ayodhya Inauguration: काशी इस समय सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से पूरे देश का प्रतिनिधित्व कर रह रहा है. काशी में न सिर्फ अपने देश के बल्कि विदेशी पर्यटक भी आ रहे हैं. काशी के विद्वान और संगीतज्ञ भी देश-दुनिया में अपनी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. इसी परंपरा को एक बार फिर से अयोध्या में निभाया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 10:11 AM IST

Updated : Jan 10, 2024, 9:39 AM IST

राम मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के समय होने वाले मंगल गायन पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की रिपोर्ट.

वाराणसी: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के समय काशी की धुन भी इस मंगलबेला की गवाह बनेगी. इसके लिए बकायदा काशी के शहनाई वादक दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना को आमंत्रित किया गया है, जहां वो कुछ खास धुनों को बजाएंगे. इसमें राम धुन, भजन व काशी की पारंपरिक धुन शामिल होगी. भगवान राम के भजन संगीतमय धुन के साथ गाए जाएंगे. इस दौरान पूरी दुनिया काशी के इन संगीतज्ञों को सुन रही होगी. पूरी दुनिया काशी की इस संस्कृति को देखेगी. अयोध्या में यह कार्यक्रम 22 से 23 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान भगवान राम के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.

कैसे होगी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआतः रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत काशी के पारंपरिक गीतों से होने जा रही है. शहनाई वादक बनारस घराने के पंडित दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना बताते हैं, 'हमारे लिए खुशी की बात है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में हमें संगीत देने के लिए निमंत्रण मिला है. यह हमारा सौभाग्य है कि मैं रामलला के सामने बैठकर अपना संगीत प्रस्तुत करूंगा और भजन गाउंगा. दुनिया में लोग खुशी मना रहे हैं. मैं और भी ज्यादा खुशी मना रहा हूं. इस दौरान 'रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम' भजन गाया जाएगा. इसके साथ ही एक भजन गंगा घाट का है, 'गंगा द्वारे बजैया बाजे'. बता दें कि यह काशी का पारंपरिक गीत है, जिसे कई बड़े मंचों से गाया जाता रहा है.

प्राण प्रतिष्ठा में कौन-कौन से भजन गूंजेंगेःवे बताते हैं कि सभी भजनों के साथ ही एक बड़ा चर्चित भजन है जो भगवान राम के लिए है, 'श्रीराम रामचंद्र कृपालभजमन'. इसकी भी प्रस्तुति दी जाएगी. वहीं पंडित दुर्गा प्रसन्ना के बेटे संगम प्रसन्ना बताते हैं, 'हम अपने पिताजी से संगीत की तालीम ले रहे हैं क्योंकि शहनाई तो बनारस में धीरे-धीरे खत्म ही हो रहा है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है, इसलिए हम लोग इसको जगाने के लिए तालीम ले रहे हैं.' वे बताते हैं कि, अब हम रामलला के दरबार में जा रहे हैं. जो हम लोगों ने साधना की है उसकी भगवान के सामने हम लोग प्रस्तुति देंगे. बता दें कि संगम प्रसन्ना का परिवार अपने पूर्वजों की लगभग सातवीं पीढ़ी है, जो इस परंपरा का निर्वहन कर रही है.

30 मिनट तक बजाए जाएंगे खास रागःसंगम प्रसन्ना बताते हैं, '22 और 23 जनवरी दो दिन का कार्यक्रम है. 40 मिनट के कार्यक्रम में हम लोग 30 मिनट कोई खास राग बजाएंगे. सुबह और शाम के समय के हिसाब से राग बजाए जाएंगे. भगवान का भजन भी बजेगा. हम लोगों का सौभाग्य है कि हमें रामलला के दरबार में अपना संगीत बजाने का अवसर मिला है.' बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को सरकार भव्य रूप में आयोजित करने जा रही है. भगवान राम के लिए आयोजित हो रहे इस शुभ कार्य के लिए बनारस घराने के संगीतज्ञों को भी बुलाया गया है, जो वहां पर अपने संगीत के माध्यम से भगवान राम के प्रति श्रद्धा भाव अर्पित करेंगे.

काशी के विद्वान और संगीतज्ञों की परंपराःअयोध्या में भगवान राम के मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय देशभर से वीवीआईपी और वरिष्ठ लोगों को बुलाया गया है. इस कार्यक्रम को पूरी भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. इस कार्यक्रम में पूजा-हवन आदि के लिए जिन ब्राह्मणों को बुलाया गया है. उनमें काशी के भी ब्राह्मणों को बुलाया गया है. काशी के ब्राह्मणों को देश-दुनिया के कई धार्मिक कार्यक्रमों में बुलाया जाता है. इसी तरह से काशी से संगीत घराने के लोगों को भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया गया है, जहां वे अपने संगीत के माध्यम से काशी की संस्कृति को पूरे देश के सामने प्रस्तुत करेंगे.

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Last Updated : Jan 10, 2024, 9:39 AM IST

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