वाराणसी: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के समय काशी की धुन भी इस मंगलबेला की गवाह बनेगी. इसके लिए बकायदा काशी के शहनाई वादक दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना को आमंत्रित किया गया है, जहां वो कुछ खास धुनों को बजाएंगे. इसमें राम धुन, भजन व काशी की पारंपरिक धुन शामिल होगी. भगवान राम के भजन संगीतमय धुन के साथ गाए जाएंगे. इस दौरान पूरी दुनिया काशी के इन संगीतज्ञों को सुन रही होगी. पूरी दुनिया काशी की इस संस्कृति को देखेगी. अयोध्या में यह कार्यक्रम 22 से 23 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान भगवान राम के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
कैसे होगी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआतः रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत काशी के पारंपरिक गीतों से होने जा रही है. शहनाई वादक बनारस घराने के पंडित दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना बताते हैं, 'हमारे लिए खुशी की बात है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में हमें संगीत देने के लिए निमंत्रण मिला है. यह हमारा सौभाग्य है कि मैं रामलला के सामने बैठकर अपना संगीत प्रस्तुत करूंगा और भजन गाउंगा. दुनिया में लोग खुशी मना रहे हैं. मैं और भी ज्यादा खुशी मना रहा हूं. इस दौरान 'रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम' भजन गाया जाएगा. इसके साथ ही एक भजन गंगा घाट का है, 'गंगा द्वारे बजैया बाजे'. बता दें कि यह काशी का पारंपरिक गीत है, जिसे कई बड़े मंचों से गाया जाता रहा है.
प्राण प्रतिष्ठा में कौन-कौन से भजन गूंजेंगेःवे बताते हैं कि सभी भजनों के साथ ही एक बड़ा चर्चित भजन है जो भगवान राम के लिए है, 'श्रीराम रामचंद्र कृपालभजमन'. इसकी भी प्रस्तुति दी जाएगी. वहीं पंडित दुर्गा प्रसन्ना के बेटे संगम प्रसन्ना बताते हैं, 'हम अपने पिताजी से संगीत की तालीम ले रहे हैं क्योंकि शहनाई तो बनारस में धीरे-धीरे खत्म ही हो रहा है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है, इसलिए हम लोग इसको जगाने के लिए तालीम ले रहे हैं.' वे बताते हैं कि, अब हम रामलला के दरबार में जा रहे हैं. जो हम लोगों ने साधना की है उसकी भगवान के सामने हम लोग प्रस्तुति देंगे. बता दें कि संगम प्रसन्ना का परिवार अपने पूर्वजों की लगभग सातवीं पीढ़ी है, जो इस परंपरा का निर्वहन कर रही है.