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anant chaturdashi vrat 2021: इस तरह करें पूजन तो प्रसन्न होंगे श्री हरि विष्णु - अनंत चतुर्दशी का महात्म्य

अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर, दिन रविवार को पड़ रही है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन किया जाता है. अनंत चतुर्दशी का पर्व और क्या है इससे जुड़ी कथा जानिए आप भी.

anant chaturdashi vrat 2021
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Published : Sep 19, 2021, 4:06 AM IST

वाराणसी:सनातन धर्म में पड़ने वाले हर पर्व का अपना अलग महत्व और उससे जुड़ी कथाएं होती हैं. कई पर्व ऐसे होते हैं जो अनादि काल से लेकर आज तक उसी रूप में मनाए जा रहे हैं, जैसे इनकी शुरुआत हुई थी. ऐसा ही पर्व है अनंत चतुर्दशी का पर्व. अनंत मतलब जिसका न आदि हो ना अंत ऐसे श्री हरि विष्णु ही हैं. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत में स्नान करने के बाद अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के सूत से बने और हल्दी से रंगे हुए चौदह गांठ के अनंत की पूजा की जाती है, फिर अनंत देव का ध्यान करके अनंत, जिसकी पूजा की गई होती है उसे पुरुष दाहिनी और स्त्री बायीं भुजा या हाथ में बांधते है. इस बार कब पड़ रहा है अनंत चतुर्दशी का पर्व और क्या है इससे जुड़ी कथा जानिए आप भी.

धारण किया जाता है खास धागा
पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक, अनंत चतुर्दशी का पर्व इस बार 19 सितंबर यानी रविवार को मनाया जाएगा. चतुर्दशी तिथि 19 सितंबर की सुबह 5:41 पर प्रारंभ होगी जो 20 सितंबर की सुबह 5:01 तक रहेगी. 19 सितंबर को ही यह पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत माना जा रहा है. पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान ध्यान करने के बाद सूत या रेशम के धागे में 14 गांठे लगाने के बाद श्री हरि विष्णु के रूप में इसका पूजन किया जाता है.

पूजा विधि बताते पंडित ऋषि द्विवेदी
बिना नमक के खानपान का विधान
ज्योतिषाचार्य एवं काशी विद्वत परिषद के महामंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि अनंत चतुर्दशी का पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है. यह पर्व भगवान विष्णु के निमित्त मनाया जाता है और इस व्रत में बिना नमक के खानपान का विधान बताया गया है, यदि निर्जला व्रत रखा जाए तो सर्वोत्तम बताया जाता है.
पुरुष महिलाएं बांधते हैं अलग-अलग बाजू पर
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि पूजन पाठ में हल्दी चंदन पुष्पमाला और नैवेद्य के बाद पुरुष इसे दाहिने बाजू पर और महिलाएं इसे बाएं बाजू पर धारण करती हैं. बहुत से लोग अनंत को पूरे वर्ष भर धारण करते हैं. इसके लिए भी विधान बहुत कठिन है यदि वर्ष पर यंत्र इस अनंत को धारण किया जाता है तो प्याज, लहसुन, मांस- मदिरा का भी परित्याग करना आवश्यक होता है.
श्री कृष्ण ने पांडवों को कराया था यह व्रत

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि अनंत चतुर्दशी से जुड़ी कथा महाभारत काल में शुरू हुई. ऐसा बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अपने खोए हुए राजपाट को वापस पाने और महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत करवाया था. भाद्रपद मास की चतुर्दशी तिथि को पढ़ने वाले इस व्रत को जब पांडवों ने किया तो उन्हें महाभारत के युद्ध में जीत भी हासिल हुई और उनका खोया हुआ राजपाट उन्हें वापस मिल गया. इसलिए यह व्रत हर तरह के सुख और वैभव को प्राप्त करने के लिए अति उत्तम व्रत माना जाता है. अनंत को भगवान श्री हरि विष्णु के रूप में पूजा जाता है और श्री हरि व्रत करने के बाद भक्तों को अपना आशीर्वाद भी देते हैं.

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