वाराणसीः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री अवार्ड की घोषणा की है. इसमें काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष एवं संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके बाद धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में हर्ष का माहौल है. देर रात से ही शुक्ल को बधाई देने वालों की तादात लगी है.
1932 में हुआ जन्म
प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल का जन्म काशी में 1932 ई. में हुआ था. बचपन से ही शुक्ल की संस्कृत विषय में अधिक रूचि थी. उनके पिता रामनिरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे. प्रोफेसर शुक्ल धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज और स्वामी चैतन्य भारतीय से वेदांत शास्त्र, पंडित राम चंद्र शास्त्री के दर्शनशास्त्र योग आदि की शिक्षा ग्रहण की.
काशी के महान संतों को दिया ज्ञान
प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल ने शक्ति पीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य ऐसे संतो को विद्या दान दी है. देश में लगभग 10 से अधिक विश्वविद्यालयों में इनके द्वारा पढ़ाए गए शिष्य कुलपति पद पर कार्यरत हैं.
काशी विद्वत परिषद के हैं अध्यक्ष
प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल ने 1961 में सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य छात्रों को शिक्षा दी. वर्ष 1974 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नियुक्त किए गए. वहां पर अपनी सेवा देने के बाद 1976 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अपनी सेवा दी. 1978 में फिर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राचार्य के पद पर आएं. 1982 में सरकारी सेवा कार्यों से सेवानिवृत्त हो गए. अब वह काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष हैं. उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति और सनातन संस्कृति संवर्धन परिषद के संस्थापक भी हैं.