वाराणसी: साल 2014 के चुनाव से पहले पीएम मोदी ने वाराणसी पहुंच कर कहा था कि 'न मुझे किसी ने भेजा है, न मैं यहां आया हूं, मुझे मां गंगा ने बुलाया है'. वहीं मां गंगा के नाम पर भाजपा ने यूपी होते हुए दिल्ली की सत्ता हांसिल की. वहीं अब उसी रास्ते पर चलने की तैयारी कांग्रेस भी करने जा रही है. या यूं कहें कि 2014 की तरह इस बार भी मां गंगा से सियासी समर की शुरूआत होने जा रही है.
पीएम मोदी की राह चलीं प्रियंका, गंगा के रास्ते दिल्ली का सफर तय करने में जुटी कांग्रेस - कांग्रेस,
पीएम मोदी की तरह प्रियंका गांधी भी मां गंगा के सहारे साल 2019 में कांग्रेस की नैय्या पार करने की जुगत में जुट गई हैं. बता दें कि प्रियंका गांधी 17 या 18 मार्च को प्रयागराज से वाराणसी पहुंचेंगी.
एक बार फिर इसी गंगा को कांग्रेस राजनीति का मुद्दा बनाकर 2019 का लोकसभा चुनाव साधने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी गंगा के रास्ते यूपी और पूर्वांचल में कांग्रेस की नैय्या पार करने की कोशिश कर रही हैं. ऐले कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले 17 या 18 मार्च को प्रियंका गांधी प्रयागराज से गंगा के रास्ते पहले मिर्जापुर पहुंचकर माता विंध्यवासिनी का दर्शन करेंगी. इसके बाद वह वाराणसी के अस्सी घाट पर पहुंचकर यहां से काशी विश्वनाथ मंदिर, बाबा काल भैरव में मत्था टेक कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगी.
फिलहाल प्रियंका गांधी के पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने में कांग्रेस कार्यकर्ता जुटे हुए हैं. वहीं पीएम के संसदीय क्षेत्र से प्रियंका चुनावी समर का आगाज करने की तैयारी में भी हैं. देखने वाली बात यह होगी कि हर बार राजनीति का मुद्दा बनने वाली मां गंगा इस बार किसका उद्धार करती हैं. किसको दिल्ली की सीट तक पहुंचाती हैं और किसको बाहर से बैठकर देश की राजनीति में सिर्फ भागीदार बनने का मौका देती हैं.