वाराणसी: नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक स्कूल से लेकर के विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा में बड़ा फेरबदल किया जा रहा है, जिससे विद्यार्थी आधुनिक के साथ-साथ परंपरागत शिक्षा को भी जान सकें. इसको लेकर के जहां एक ओर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में संस्कृत भाषा के साथ वेद, पुराण, उपनिषद पढ़ाए जाने की कवायद शुरू की गई है तो वहीं अब प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी पंडित बनेंगे और संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त करेंगे.
शिक्षकों को दी जाएगी संस्कृत की शिक्षा
नई शिक्षा नीति के जरिए अब प्राथमिक विद्यालयों को स्मार्ट बनाया जा रहा है, जिसके तहत विद्यालय में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता को भी बढ़ाया जा रहा है. इसी क्रम में विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ परंपरागत शिक्षा भी दी जा रही है, जिसके तहत बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा अब प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों की ट्रेनिंग कराई जा रही हैं. वहां उन्हें संस्कृत भाषा, संस्कार, उपनिषद, वेद वेदांग का भी पाठ पढ़ाया जा रहा है, जिससे इन अध्यापकों को संस्कृत में पारंगत बनाया जा सके.