वाराणसी :13 मार्च को तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को एक कार्यक्रम में शामिल हुए. यहां उन्होंने देश की संस्कृति सभ्यता से लेकर बहुत से पहलुओं पर अपनी बातें रखीं. राष्ट्रपति ने कहा कि सचमुच में देखा जाए तो यह विश्वव्यापी महामारी के कारण जो विकास पद पर या विकास की यात्राएं मानव समाज ने की, उसमें भी कहीं न कहीं ब्रेक लगा है. राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान बाबा विश्वनाथ के दर्शन का सौभाग्य मिला. सही मायने में वाराणसी मां गंगा की संध्या आरती में भाग लेने का अवसर भी मिला. बाबा विश्वनाथ से सभी देशवासियों से मैंने स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मांगा.
शिव बारात का किया जिक्र
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं स्वयं को कृतार्थ अनुभव कर रहा हूं. पिछले बुधवार के दिन पूरे देश भर में और पूरे पूरे विश्व में श्रद्धालुओं ने महाशिवरात्रि का पर्व मनाया. मुझे बताया गया है कि बनारस में एक और अनूठी परंपरा महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवजी की बारात निकलती है, जिसमें समाज के हर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. उसकी विशेषताएं शिव जी की बारात एक समावेशी समूह की कल्पना पर आधारित है. प्राय: देखा गया है कि जब किसी की बारात निकलती है तो उसी वर्ग या उसी समुदाय के लोग एकत्रित होकर कार्यक्रम में भागीदारी लेते हैं, लेकिन शिव जी की बारात उत्तम समाज की कल्पना है.
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'गंगा जोड़ती है एक संस्कृति को दूसरे से'
राष्ट्रपति ने कहा कि गंगा को नदी के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह संस्कृति की संवाहक है. एक बार बिस्मिल्ला खान को मुम्बई में बसने का आग्रह लोगों ने किया, लेकिन उनका उत्तर था- 'यहां बस तो जाऊंगा, लेकिन मुम्बई में गंगा कहां से लाओगे ?' राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि देश की संस्कृति और सभ्यता को जोड़ती हैं गंगा, गंगा भारत वासियों की पहचान हैं और गंगा के बिना जीवन अधूरा है. गंगा देश के 11 राज्यों से होकर गुजरती हैं, जो करीब 43 प्रतिशत आबादी के लिए जीवन है. गंगा जल ही जीवन जल है. आज गंगा की स्वच्छता और संरक्षण देश के लिए आवश्यक है.
गंगा स्वच्छता के प्रति लोग हुए का जागरूक
राष्ट्रपति ने कहा कि नमामि गंगे के परिणाम अब सामने आने लगे हैं. इसमें अभी काफी कुछ होना है. प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान पर काफी जोर दिया है. अस्सी घाट पर सफाई कार्य की शुरुआत करके प्रधानमंत्री ने जो संदेश दिया, उसे अब जन अभियान का रूप दे दिया गया है. स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है. गंगा जल को निर्मल करने की दिशा में काशी के संत समाज का काफी याेगदान है. गंगा का लगाव एक संप्रदाय या वर्ग से नहीं है. गंगा सभी के लिए हैं. देशवासी जहां भी जाते है वहां गंगा को दिल में ही रखते हैं. मेरे जीवन में गंगा से काफी कुछ मार्ग दर्शन मिला है.