वाराणसी: आस्था का महापर्व डाला छठ पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. बुधवार को नहाए खाए के साथ शुरू हुआ चार दिवसीय महापर्व गुरुवार को दूसरे दिन खरना के साथ आगे बढ़ रहा है. 20 नवंबर शुक्रवार को अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 21 नवंबर की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर यह महापर्व पूरा होगा. इस बार कोविड-19 की वजह से इस महापर्व का स्वरूप कुछ बदला हुआ है. गंगा घाटों पर भीड़ ना लगाने की अपील लोगों से की जा रही है. सरकार ने भी लोगों से घर पर ही इस महापर्व को मनाने की अपील की है. इसके बाद बनारसियों के घरों में कुछ अलग और विशेष तरह की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस बार पहला मौका होगा, जब व्रती महिलाएं गंगा घाट पर वेदियां बनाकर छठी मैया का आह्वान नहीं करेंगी, बल्कि अपने घर के आंगन में ही छठी मैया का आह्वान कर इस अनुष्ठान को पूरा करेंगी. क्या हैं डाला छठ को लेकर घरों में होने वाली तैयारियों को ईटीवी भारत ने देखा.
घरों पर हो रही छठ पूजा के अनुष्ठान की तैयारी. खरना की हो रही तैयारी भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा का यह चार दिवसीय महापर्व इस बार भी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. कोविड-19 की वजह से लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जा रही हो. इसके बाद भी लोगों का उत्साह कम नहीं है. बनारस के महमूरगंज इलाके में रहने वाले रावत परिवार ने इस बार घर पर ही कुछ विशेष तैयारियां की हैं. यहां ईंट और प्लास्टिक की मदद से एक छोटा सा कुंड तैयार किया है. लगभग 4 बाई 4 के इस छोटे से कुंड में घर की व्रती महिलाएं भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी. आज पर्व के दूसरे दिन खरना का त्योहार मनाया जा रहा है. गेहूं साफ करने से लेकर इसे छत पर सुखाने तक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शाम को खरना का आयोजन होगा. डाला छठ के अनुष्ठान की तैयारी. पारंपरिक गीतों संग भरा जा रहा कुंड छठ का पर्व हो और परंपरागत गीत ना हो यह हो नहीं सकता, यही वजह है कि बनारस के इस परिवार में परंपरा के साथ संस्कृति और आधुनिकता का एक अद्भुत मेल भी दिखाई दे रहा है. घर पर महिलाएं वेदी बनाने से लेकर अन्य परंपरागत पूजा अनुष्ठान पूरे करने की तैयारी कर रही हैं, तो छोटा सा कुंड बनाकर उसमें गंगा जल भरने का काम भी किया जा रहा है. परंपरागत गीतों के साथ गंगा जल भर के इसमें पानी भरने का काम घर के पुरुष करेंगे फिलहाल कुंड तैयार हो चुके हैं और व्रती महिलाएं खरना की तैयारी कर अनुष्ठान को आगे बढ़ा रही हैं. फिलहाल 2 दिन तक चलने वाले इस कठिन व्रत की शुरुआत आज शाम खरना के साथ हो जाएगी. अंगना में आएंगी छठ मैया हर बार महापर्व छठ को गंगा घाट पर मनाए जाने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार हालात कुछ बदले हुए हैं. यही वजह है कि लोग घरों पर ही सुरक्षित रह कर इस पर्व को मनाने में जुटे हैं. महिलाओं का कहना है कि उनका सौभाग्य है कि इस बार छठ मैया को उन्हें घर के आंगन में बुलाने का सौभाग्य मिला है. वह इसी लिए पूरी तैयारी और स्वच्छता के साथ वह माता का आवाहन कर रही हैं ताकि घर में सुख-शांति और संपन्नता बरकरार रहे.