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बनारसी साड़ियों की फैक्ट्री में तैयार हो रही पीपीई किट

डीआरडीओ की तरफ से स्वीकृत पूर्वांचल की पहली पीपीई किट यूनिट वाराणसी में शुरू की गई है. इस यूनिट के शुरू होने के बाद पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में इसकी सप्लाई की जाएगी.

साड़ियों की फैक्ट्री में तैयार हो रही पीपीई किट
साड़ियों की फैक्ट्री में तैयार हो रही पीपीई किट

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Published : Jun 25, 2020, 2:48 PM IST

वाराणसी: वाराणसी की पहचान यहां के पान, बाबा विश्वनाथ, मां गंगा और बनारसी साड़ी से है. पूरे विश्व में अपने बेहतरीन डिजाइन और शानदार प्रोडक्शन की वजह से बनारसी साड़ी ने एक अलग जगह बना ली है. अब जब प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात कही है तब बनारसी साड़ी उद्योग से जुड़े लोग इस कारोबार के साथ देश को मजबूत करने के लिए प्रयास शुरू कर चुके हैं. अब बनारसी साड़ी बनने वाले कारखाने में कोरोना महामारी से लड़ने की तैयारी की जा रही है. डीआरडीओ की तरफ से अप्रूवड पूर्वांचल की पहली पीपीई किट यूनिट वाराणसी में शुरू की गई है. इस यूनिट के शुरू होने के बाद पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में इसकी सप्लाई पूरे मानक को ध्यान में रखते हुए की जाएगी.

साड़ियों की फैक्ट्री में तैयार हो रही पीपीई किट

साड़ी उत्पादन से जुड़े लोग बना रहे पीपीई किट

आत्मनिर्भर भारत अभियान के बाद प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पूर्वांचल की पहली डीआरडीओ और शिप्रा से अप्रूव्ड पीपीई किट बनाने के लिए उत्पादन इकाई फैक्ट्री की शुरुआत हो गई है. इस फैक्ट्री में वाराणसी के साड़ी उत्पादन से जुड़े लोग और कारीगर पीपीई किट तैयार कर रहे हैं. जहां हर महीने 5 हजार पीपीई किट तैयार कर पूर्वांचल सहित आस-पास के अन्य जिलों में कम दामों में उपलब्ध करायी जाएंगी. यह कारखाना डीआरडीओ और शिप्रा द्वारा अप्रूव है. अधिकारियों का कहना है कि यह चिकित्सा उपकरण है, इसलिए इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा साथ ही सरकार के पूरे मानकों का ध्यान रखा जाएगा. यही वजह थी कि इसको बनाने के पहले डीआरडीओ और शिप्रा दोनों जगहों से अप्रूवल सर्टिफिकेट लेना पड़ा, इसलिए देरी हुई. इसके लिए पूर्वांचल में लोग प्रयासरत थे, ताकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में इसकी सप्लाई हो सके.

शिप्रा से भी अप्रूवल मिलने के बाद बन रही पीपीई किट

इस यूनिट की शुरुआत करने वाले कारोबारी का कहना है कि उनके लिए यह काफी चैलेंजिंग था. जब उन्होंने डीआरडीओ में 7 सैंपल भेजे थे, तब यह डर था कि यदि सैंपल रिजेक्ट हो गया तो मेहनत पर पानी फिर जाएगा, लेकिन डीआरडीओ से सातों सैंपल को अप्रूवल मिल गया. उसके बाद शिप्रा से भी अप्रूवल मिलने के बाद वह लोग पीपीई किट बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि रोज 200 से 300 पीपीई किट बनाने का लक्ष्य है आगे और बढ़ाएंगे. उनकी पूरी कोशिश है कि 500 रुपए के अंदर पीपीई किट तैयार हो जाए. उनका कहना है कि इस कारोबार में साड़ी की बुनाई करने वाले कारीगर ही शामिल हुए हैं. अब पूर्वांचल में कोरोना से लड़ रहे कोरोना योद्धाओं जैसे डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय जैसे लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिन्हें अब इसकी कमी से लड़ना नहीं पड़ेगा.

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