वाराणसी :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी से नई दिल्ली के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस का लोकार्पण कर दिया.अपने 43वें दौरे पर पीएम मोदी ने कई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया. इसमें काशी को वंदे भारत की सौगात भी शामिल है. बीते दिन प्रधानमंत्री ने काशी से काशी-तमिल संगमम स्पेशल ट्रेन का लोकार्पण भी किया है. बनारस से चलने वाली यह दूसरी वंदे भारत ट्रेन हैं.
वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र के दो दिन के दौरे पर हैं. सोमवार को दौरे का अंतिम दिन है. बीते दिन उन्होंने तमिल संगमम कार्यक्रम का उद्घाटन करने के साथ ही काशी-तमिल संगमम एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई थी. वहीं सोमवार को पीएम मोदी ने वाराणसी से चलकर दिल्ली जाने वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा दी. इस ट्रेन के संचालन के साथ ही वाराणसी से चलने वाली वंदे भारत ट्रेनों की संख्या दो हो गई है. इससे पहले चल रही वंदे भारत दिल्ली से वाराणसी आ रही थी.
घूमने वाली चेयर के साथ वाई-फाई
वंदे भारत की रफ्तार बहुत ही कम समय में 160 किलोमीटर प्रति घंटे से 200 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाती है. रेलवे के मुताबिक ट्रेन 100 किलोमीटर की स्पीड केवल 52 सेंकड में पकड़ लेती है. इस ट्रेन में मेट्रो की तरह ही एकीकृत इंजन होता है. इसके साथ ही ट्रेन में जीपीएस सिस्टम भी लगाया गया है, जिससे आगे आने वाले स्टेशन की जानकारी मिलती रहती है. रेलवे की तरफ से यात्रियों की सुविधा को देखते हुए ट्रेन को पूरी तरह से वाईफाई से लैस बनाया गया है. वहीं हर सीट के नीचे मोबाइल और लैपटॉप चार्ज करने के लिए चार्जिंग पॉइंट्स दिए गए हैं. सभी कोच वतानुकुलित हैं और सीटें 360 डिग्री घूम जाती हैं.
कई हाईटेक सुविधाओं से युक्त है ट्रेन
बता दें कि वंदे भारत ट्रेन में ऑटोमेटिक दरवाजे लगे हैं. ये दरवाजे मेट्रो की ही तरह ऑटोमेटिक खुलते हैं. इसके साथ ही बायो वैक्यूम शौचालय है. खिड़की पर बड़े ग्लास लगाए गए हैं. हर डिब्बे में सीसीटीवी लगाए गए हैं. इतना ही नहीं, ट्रेन में खाना और नाश्ता भी यात्रियों को दिया जाता है, जिसकी कीमत टिकट में ही शामिल होती है. वंदे भारत को तैयार करने में दिव्यांगों का भी ध्यान रखा गया है. ऐसे में ट्रेन के कुछ डिब्बों में व्हीलचेयर रखने के लिए अलग से जगह बनाई गई है. ट्रेन में एक खासियत यह भी है कि जब ट्रेन पूरी तरह से रुक जाती है, तब ही दरवाजे खुलेंगे, जिससे यात्री चलती ट्रेन में न ही चढ़ें और न ही उतरें.