वाराणसी: धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी वैसे तो मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाती है, कहा जाता है यहां प्राण त्यागने वाले हर इन्सान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. साथ ही यहां ये भी मान्यता है कि जिन लोगों की काशी से बाहर या काशी में अकाल मृत्यु हुई हो तो उन आत्माओं को भी काशी के पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से मोक्ष मिल जाता हैं. यही वजह है कि मोक्ष की नगरी काशी में देश के विभिन्न राज्यों से सनातन धर्म के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिशाचमोचन कुंड पर पिंडदान और श्राद्ध करते हैं.
देश भर से जुटे श्रद्धावान
दरअसल, आज 21 सितंबर से 16 दिनों तक चलने वाले पखवारे पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है. पितृपक्ष की शुरुआत से पहले काशी में श्राद्ध कर्म पिंडदान व तर्पण करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को गया में अपने पितरों का पिंडदान, श्राद्ध, कर्म और तर्पण करना होता है. काशी के पिशाचमोचन कुंड पर पहले पहुंचकर अनुष्ठान व पूजा पाठ संपन्न करवाना होता है. नारायण बलि, त्रिपिंडी श्राद्ध समेत अन्य श्राद्ध कर्म काशी के इस पौराणिक कुंड पर संपन्न कराने के बाद ही लोग गया के लिए रवाना होते हैं. इसलिए काशी में 21 सितंबर से लेकर 6 अक्टूबर तक कुंड पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिलेगी और लोगों ने दूर-दूर से काशी में पहुंचना भी शुरू कर दिया है.