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वेद मंत्रों के साथ मनाई गई वीरांगना की 185वीं जयंती - peace lessons in varanasi on the birth anniversary of lakshmibai

जागृति फाउंडेशन एवं ब्रम्हा वेद विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में महारानी लक्ष्मीबाई की 185वीं जयंती भदैनी स्थित उनके जन्मस्थली पर धूमधाम से मनायी गई. वेद पाठी ब्राह्मणों ने एक स्वर में शांति पाठ कर काशी की महान बेटी को श्रद्धांजलि अर्पित किया. इस दौरान जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने पीएम मोदी से बुंदेलखंड एक्सप्रेस का नाम बदलकर वीरांगन एक्सप्रेस रखने की मांग की.

veerangana's 185th birth anniversary in kashi
लक्ष्मीबाई की 185वीं जयंती

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Published : Nov 19, 2020, 7:36 PM IST

वाराणसीः जागृति फाउंडेशन एवं ब्रम्हा वेद विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में महारानी लक्ष्मीबाई की 185वीं जयंती भदैनी स्थित उनके जन्मस्थली पर धूमधाम से मनाई गई. ब्रह्मा वेद विद्यालय के वेदपाठी वटुकों ने गुलाब और गेंदा के फूलों की पुष्प वर्षा कर वीरांगना के चरणों में पुष्पंजलि अर्पित की.

वेद पाठी ब्राह्मणों ने एक स्वर में किया शांति पाठ

वेद पाठी ब्राह्मणों ने एक स्वर में शांति पाठ कर काशी की महान बेटी को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान पूरा क्षेत्र संस्कृत के श्लोकों से गूंज उठा. लोगों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ महारानी लक्ष्मीबाई को याद किया.

'हर साल कार्यक्रम का होना चाहिए आयोजन'

वीरांगना की जयंती को धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से यह निवेदन किया कि जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक वर्ष यहां पर कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए.

बुंदेलखंड एक्सप्रेस का नाम 'वीरांगना' करने की मांग

जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने प्रधानमंत्री मोदी से वाराणसी से चलने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस ट्रेन का नाम वीरांगना एक्सप्रेस करने की मांग की है. रामयश मिश्र ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली से चलकर उनके शहीद स्थली ग्वालियर तक जाने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस ट्रेन का नाम वीरांगन एक्सप्रेस होना चाहिए. यही लक्ष्मीबाई की सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

'युवा पीढ़ी को महारानी लक्ष्मीबाई से लेनी चाहिए सीख'

ब्रम्हा वेद विद्यालय के प्राचार्य आशीष कुमार मिश्र ने कहा कि हमें गर्व है कि वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्म काशी की धरती पर हुआ है. आज की युवा पीढ़ी को उनके जीवन से सीख लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए. हमारे लिए और पूरे काशी के लिए यह गर्व की बात है कि वह काशी की बेटी हैं. जिसने सन 1857 में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे.

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