वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के संस्थापक भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की आज 160वीं जयंती (160th birth anniversary of Malaviya) है. आज पूरा देश भारत मां के इस महान सपूत को याद कर रहा है. एक स्वतंत्रता सेनानी, अधिवक्ता और शिक्षाविद के रूप में महामना जाने जाते हैं. मालवीय जी के जीवन का उद्देश्य ही मानव कल्याण और राष्ट्र निर्माण रहा. आज पूरा देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. कहीं न कहीं महामना ने इस अमृत महोत्सव के मनाने की नीव 1916 में ही रख दिया था.
मदन मोहन मालवीय जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 25 दिसंबर, 1861 को प्रयागराज में हुआ था. अपने जीवन काल में उन्होंने बहुत से ऐतिहासिक कार्य किए और भारत मां की जीवन भर सेवा करते रहें. उन्होंने गीता और गाय पर विशेष ध्यान दिया.
भिक्षाटन से बनाया एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय
एक तरफ देश गुलामी के शिकंजे में जकड़ा था और ऊपर से चौतरफा भुखमरी का आलम व्याप्त होने के बावजूद मालवीय जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना कर यह साबित कर दिया कि यदि इरादे नेक हो तो लाख रोड़े के बाद भी उसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता. वहीं, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना कर उन्होंने भारत को एक ऐसा संस्थान दिया, जो युगों-युगों तक देश के प्रति उनके योगदान को याद दिलाता आ रहा है और आगे भी याद दिलाता रहेगा.
लेकिन पंडित मदन मोहन मालवीय ने भिक्षा मांग कर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. प्रयागराज से संकल्प कर निकले महामना ने देश के कोने-कोने में घूमकर भिक्षाटन कर इस एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था.
बीएचयू की संरचना
वर्तमान में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में 16 संस्थान,14 संकाय और 140 विभागों के साथ ही चार अंतर अनुवांशिक केंद्र हैं. महिलाओं के लिए महाविद्यालय के अलावा 13 विद्यालय, चार संबंधित डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय में 40000 छात्र-छात्रा और 3000 शिक्षक हैं.
'मैं महामना का पुजारी हूं.'
देश में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह से लेकर रजत समारोह तक विश्वविद्यालय में आए. एक पत्र में महात्मा गांधी ने लिखा था कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी आना मेरे लिए एक तीर्थ के समान है, क्योंकि मैं तो महामना का पुजारी हूं.