वाराणसी : अपने पूर्वजों को तारने के लिए भागीरथ ने मां गंगा को धरती पर बुलाया. गोमुख से लेकर गंगासागर तक पतित पावनी मां गंगा कितनों को जीवन भी देती है. हालांकि समय के साथ गंगा का पानी भी प्रदूषण की भेंट चढ़ता रहा. लेकिन सत्ता बदली और गंगा को लेकर परिस्थितियां बदलने लगीं, जिसका नतीजा अब धीरे-धीरे दिखने लगा है. अगर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बात करें तो बनारस में जिस रास्ते से गंगा प्रवेश करती है और जिससे बाहर निकलती है. वहां गंगा में गिरने वाले नालों पर लग रही रोक का असर अब गंगा निर्मली करण के अभियान में दिखने लगा है. बीते सालों की तुलना में गंगा में न सिर्फ ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है, बल्कि गंगा के पानी के रंग में भी काफी बदलाव आया है.
मिर्जापुर से बनारस तक पानी हुआ साफ
दरअसल उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से गंगा के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम पानी के सैंपल हर रोज लिए जाते हैं. 1 जनवरी से लेकर 29 जनवरी तक की गई सैंपलिंग में यह बात सामने आई है कि मिर्जापुर से लेकर वाराणसी के बीच पानी की गुणवत्ता काफी बेहतर हुई है. इसकी बड़ी वजह यह है कि मिर्जापुर से वाराणसी के बीच लगभग 30 नाले गंगा में सीधे गिरा करते थे, लेकिन अलग-अलग जगहों पर 50 एमएलडी 20 एमएलडी और अन्य छोटी आधुनिक एसटीपी इकाइयां बनने की वजह से गंगा में सीधे गिर रहे नालों के शोधन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इसका पानी गंगा में जा रहा है. जिसकी वजह से गंगा में न सिर्फ प्रदूषण का स्तर कम हुआ है बल्कि डिसीजन की मात्रा भी काफी बढ़ गई है.
हर रोज सुधर रही स्थिति
वाराणसी में अपस्ट्रीम नगवा में गंगा में ऑक्सीजन का लेवल 9 से ऊपर है. वहीं डाउनस्ट्रीम में डिजॉल्व ऑक्सीजन 8.2 से 8.5 के बीच रिकॉर्ड किया गया है. इस बारे में गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर कालिका सिंह का कहना है कि जनवरी के पहले सप्ताह से लेकर 29 जनवरी तक के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो गंगा जल की गुणवत्ता में लगातार सुधार होता दिख रहा है.