वाराणसी: बनारस में 7 नवंबर को देव दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. देव दीपावली एक ऐसा मौका होता है जब गंगा में ट्रैफिक जाम की स्थिति देखने को मिलती है क्योंकि बनारस में पहले से ही चल रही लगभग 600 से ज्यादा नावों के अतिरिक्त गाजीपुर, चंदौली, बलिया और अन्य जगहों से नावों को यहां बुलाकर पर्यटकों की जरूरतों को पूरा किया जाता है. इसकी वजह से कई नाव संचालक मनमानी भी करते हैं. पर्यटकों के साथ-साथ लोकल लोगों की सुरक्षा से भी जमकर खिलवाड़ होता है.
हालांकि इस बार प्रशासन लगातार ओवरलोडिंग और नौकाओं पर बैठने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए तमाम उपाय को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर रहा है, लेकिन क्या वास्तव में यह दिशानिर्देश हकीकत में दिखाई दे रहे हैं. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ने वाराणसी के घाटों पर की. गंगा में चल रही तमाम नावों के संचालन का रियलिटी चेक हुआ तो हकीकत दावों से अलग नजर आई. अधिकांश नावें ओवरलोड मिलीं. इसके साथ ही न किसी नौका पर कोई लाइफ जैकेट दिखी और न ही नावों पर बैठे लोग अपनी सुरक्षा को लेकर सजग दिखाई दिए.
गौरतलब है कि वाराणसी में पिछले दिनों हुई नौका दुर्घटना के बाद तमाम नियम कानून बनाए गए थे. जिसमें ओवरलोडिंग रोकने के लिए जल पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. एनडीआरएफ की टीम भी बकायदा गस्त करते हुए निगरानी करती थी ताकि ओवरलोडेड नावें गंगा में संचालित न हो. इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति जो नौका पर बैठ रहे हैं उनके लिए लाइफ जैकेट और कम से कम तीन से चार ट्यूब रखने के निर्देश दिए ताकि किसी भी दुर्घटना के समय लोगों की जिंदगी बचाई जा सके. इन्हीं शर्तों पर नौकाओं के लाइसेंस को भी रिन्यू किया जा रहा था. लेकिन गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से कुछ समय पहले नौका संचालन पर रोक लगाई थी, जिसे अब पुनः शुरू किया गया है. लेकिन संचालन के लिए प्रशासन के सारे मानक और सारी शर्तें हवा-हवाई साबित होने लगी है.