उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बड़ी खास है ये काशी की राखी, पहले सजाएगी कलाई फिर बचाएगी पर्यावरण

इस बार मार्केट में एक खास तरह की ऑर्गेनिक राखियां बहनों को लुभा रही हैं. भले ही बनारस के लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हो, लेकिन भाई-बहनों के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर बाजार में उत्साह कम नहीं है. कोरोना काल के दौर में आई ये ऑर्गेनिक राखी भाइयों की कलाई सजाने के बाद पर्यावरण भी बचाएगी.

By

Published : Aug 2, 2020, 5:44 PM IST

rakhi demand  increased
ऑर्गेनिक राखियों की बढ़ी डिमांड

वाराणसी: बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है, यह गीत सभी को याद होगा. यह गीत हर बहन के दिल और जुबां पर रहता है. रक्षाबंधन के समय हर बहन इस गीत को गुनगुनाते हुए अपने भाई के लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत राखी ढूंढती है. इसके साथ ही कोशिश करती है कि रक्षाबंधन के दिन उसके भाई की कलाई सबसे खूबसूरत कलाई दिखे. मगर काशी में इस बार बहनें अपने भाइयों के लिए रक्षाबंधन का एक अनोखा तोहफा तैयार कर रही हैं. साथ ही एक अलग अंदाज में बहन होने का फर्ज भी निभा रही हैं.

काशी की राखी कलाई सजाने के साथ ही बचाएगी पर्यावरण.
हम सभी जानते हैं कि इन दिनों इंडिया और चाइना को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है. इससे जहां हमने हमारे सरहद के भाइयों को खोया है, वहीं हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर पड़ रहा है. ऐसे में काशी की बेटी और बहनों ने संकल्प लिया है कि चाइना को मुंहतोड़ जवाब देना है. इसको लेकर काशी में इन दिनों मेड इन काशी की राखी बनाई जा रही है.

ऑर्गेनिक राखियों की बढ़ी डिमांड
इस बार काशी में चाइनीज राखी को छोड़कर स्वदेशी और ऑर्गेनिक राखी ही दिख रही है. इन राखियों को देखकर सभी का मन कहेगा कि वाकई यह हमारे काशी की खूबसूरती है. चाहे वो रुद्राक्ष की राखी हो, मिट्टी के मनकों से बनी राखी हो या फिर ऑर्गेनिक राखी हो सभी बेहद ही खूबसूरत हैं. इन दिनों सभी राखियों की डिमांड भी काफी बढ़ गई है.

स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
जिले के मीरापुर बसही स्थित एक स्कूल में डूडा के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हैंड मेड राखी बना रही हैं. इस दौरान यहां काम करने वाली महिलाओं से बातचीत की गई तो उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया. इन लोगों के मुताबिक प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर होने की बात को मानकर खुद और अन्य सभी बहनों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हमारे गांव में महिलाएं मिट्टी की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर झूमर बनाने का काम करती थीं. इसीलिए हम लोगों को लगा कि क्यों न हम इन भाइयों के लिए इससे राखी बनाएं.

स्वदेशी चीजों से बनाई जा रहीं राखियां
इसको देखते हुए हम लोग यहां पर रुद्राक्ष की, मिट्टी के मनको की राखी, इसके साथ-साथ बच्चों और अन्य लोगों के लिए फूल पत्तियों से बनी हुई ऑर्गेनिक राखी भी बना रहे हैं. इस बार हम सभी बहनों ने चाइनीज राखियों का बहिष्कार कर स्वदेशी चीजों से ये राखी बना रहे हैं. ये राखियां स्वदेशी होने के साथ-साथ हमारी बहनों के लिए एक रोजगार का साधन भी है. इसमें महिलाएं प्रतिदिन 150 से 200 रुपये कमा ले रही हैं.

चाइनीज राखियों का बहिष्कार
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी रुबीना बेगम ने बताया कि हम अपने सरहद के भाइयों के लिए भी एक छोटी सी कोशिश कर रहे है. वह सीमा पर तैनात रहकर दुश्मनों के साथ लड़ रहे हैं, इसीलिए हम चाइनीज सामानों से लड़ रहे हैं. हम हर त्योहार पर चाइना के सामानों का एक विकल्प लेकर आएंगे. अभी तो यह शुरुआत है. आगे-आगे हम चाइना को पूरे देश से निकाल कर फेंक देंगे.

भाई की कलाई पर बांधें स्वदेशी राखी
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी शशि देवी ने बताया कि बाजार से बनाई हुई राखियां मशीनों से बनी हुई होती हैं. मगर यह राखी हम लोगों ने अपने हाथों से बनाई है. इसमें हम सभी बहनों का प्यार भी छुपा हुआ है. यह राखी भाई के कलाई पर बंधेगी तो उसका महत्व कुछ अलग ही होगा. हम लोगों से यह अनुरोध करते हैं कि सभी लोग स्वदेशी राखी ही खरीदें और अपने भाई की कलाई पर सुशोभित करें. तभी हमारी यह मेहनत सही मायने में सफल होगी.

कीमत सुन नहीं उड़ेंगे होश
इस राखी की खास बात यह है कि यह कागज पर बनी हुई राखी होती है. इसमें छोटे-छोटे बीज लगे हुए होते हैं. राखी को बहन भाई की कलाई पर बांध सकती हैं और उसके बाद इसे गमले में लगाकर पर्यायवरण को संरक्षित कर सकते हैं. इन राखियों की खास बात यह है कि रुद्राक्ष और मिट्टी और फूल से बनी राखियां मात्र 10 से 50 रुपये में मिल जा रही है. वहीं ऑर्गेनिक राखी 350 रुपये में मिल रही है, जो अन्य राखियों की तुलना में काफी सस्ती और बजट के हिसाब से है. इसलिए यह अन्य राखियों की अपेक्षा लोगों की खास पसंद बन रही है.

इन दिनों ऑर्गेनिक राखी की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है. लोग इस राखी को काफी पसंद कर रहे हैं. राखी में जूट का बैग, ऑर्गेनिक खाद, चंदन रोली का पैकेट, एक विश कार्ड सब कुछ उपलब्ध है. बाजार में यह राखी 350 रुपये में बेच रहे हैं. इसके साथ ही साथ पूरे देश में इसकी ऑनलाइन फ्री डिलीवरी भी हो रही है.
-संजीव खेमका, दुकानदार

यह ऑर्गेनिक राखी मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई है, क्योंकि उसका रेंज भी काफी बजट में है. इसकी सबसे खूबसूरत बात यह है कि यह राखी एक ऑर्गेनिक राखी हैं.
-प्रीति, ग्राहक

ABOUT THE AUTHOR

...view details