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राष्ट्रीय भावना जागृत करने के लिये आवश्यक है 'संस्कृत': कुलपति संपूर्णानंद विवि. - व्याख्यानमाला ऑनलाइन कार्यक्रम

यूपी के वाराणसी जिले में स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्वावधान में ऑनलाइन व्याख्यानमाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कहा कि राष्ट्रीय भावना जागृत करने के लिये 'संस्कृत' बहुत ही आवश्यक है.

संपूर्णानंद संस्कृत विवि का व्याख्यानमाला कार्यक्रम
संपूर्णानंद संस्कृत विवि का व्याख्यानमाला कार्यक्रम

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Published : Jul 10, 2020, 3:42 AM IST

वाराणसी:जिले के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्वावधान में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने वेद विज्ञान व्याख्यानमाला के अन्तर्गत "वैज्ञानिकी भाषा संस्कृतम" विषय पर बतौर मुख्य वक्ता संबोधन दिया. ऑनलाइन व्याख्यानमाला कार्यक्रम में विद्वानों ने भी अपना मत रखा, जिसमें विद्वानों ने कहा संस्कृत पूर्णत: वैज्ञानिक भाषा है. इसकी वर्णमाला सिर्फ भाषा का उच्चारण मात्र नहीं है. बल्की इसका अपना उच्चारण शास्त्र है, जो व्यक्ति संस्कृत का उच्चारण कर सकता है, वह किसी भी भाषा का सही और स्पष्ट उच्चारण कर सकता है.

योग की भाषा है संस्कृत
अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कहा कि कठिन से कठिन संस्कृत बोलना बहुत ही आसान है. यह(संस्कृत) एक विकसित, समृद्धिशली भाषा, संगणक एवं योग की भाषा है. इसके बोलने मात्र से ही योग एवं प्राणायाम स्वतः हो जाते हैं. विविधता में एकता का विचार भारत में ही है. इसका प्रकटीकरण संस्कृत में है. वर्तमान समाज में व्याप्त विरुपता का सबसे बड़ा कारण भारतीय संस्कृति को छोड़ना है.

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के बीच सांस्कृतिक एकता संस्कृत के करण है. शिक्षा मनुष्य को मनुष्य बनाने के लिये होनी चाहिये "सा विद्या या विमुक्तये" अर्थात् शिक्षा का लक्ष्य शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास है, यह रोजगारपरक भी है.

संस्कृत की आवश्यकता
अध्यक्षता करते हुये कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि भारत की ज्ञान परम्परा सदियों पुरानी है. सामाजिक समरसता, छुआछूत निवारण और राष्ट्रीय भावना जागृत करने के लिये संस्कृत आवश्यक है. आज विद्यालयों में नैतिक शिक्षा नहीं दी जाती है. घरों में भी संस्कार नहीं मिल रहे हैं. वर्तमान परिवेश में नैतिक शिक्षा और मूल्य आधारित शिक्षा का समावेश अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिये.

ऑनलाइन वर्णमाला कार्यक्रम
इस दौरान ऑनलाइन वर्णमाला कार्यक्रम में इस वैश्विक महामारी के दौर में समय का सदुपयोग करते हुए संस्कृत से जुड़े छात्र, प्रोफेसर सबने ऑनलाइन माध्यम से विद्वानों की बात सुनी.

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