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वाराणसी: देव दीपावली के अवसर पर कुम्हारों को मिलने लगे दीपों के आर्डर - dev deepawali

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दीपावली के बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे देव-दीपावली के नाम से जाना जाता है. इस दीपावली के दौरान गंगा नदी के किनारे बने घाट दीयों की रोशनी से जगमगा उठते हैं. इन दीयों को बनाने वाले कुम्हार दीयों की बिक्री में व्यस्त हैं और उनके पास आर्डरों की लाइन लगी है.

कुम्हारों के बनाए दीयों से जगमगाएंगे घाट.

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Published : Nov 8, 2019, 1:30 PM IST

वाराणसी:वैसे तो दीपों का त्योहार दीपावली माना जाता है, लेकिन काशी के गंगा घाटों पर आप देवों की दीपावली देख सकते हैं, जिसे यहां देव-दीपावली के नाम से जाना जाता है. गंगा के घाटों पर करोड़ों दिये तारे की तरह टिमटिमाते हुए देखे जा सकते हैं.

कुम्हारों के बनाए दीयों से जगमगाएंगे घाट.

यह दीयें उन कुम्हारों द्वारा बनाए जाते हैं, जो रातों दिन मेहनत कर लोगों के जिंदगी में एक रोशनी की झलक लाने की कोशिश करते रहते हैं. देव दीपावली के अवसर पर कुम्हार अपनी दुकानों को दीयों से सजाए हुए हैं. यही नहीं कुम्हारों का कहना है कि उनको आर्डर भी मिलना शुरू हो गया है. जल्द ही आर्डर पूरा कर दिया जाएगा.

कुम्हारों के बनाए दीयों से जगमगाएंगे घाट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देव दीपावली का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस देव दीपावली में देश ही नहीं सारी दुनिया से लोग आते हैं. विदेश से आए हुए लोगों का मुख्य आकर्षण गंगा घाटों पर सजने वाले दिये होते हैं. गंगा किनारे बसे लगभग 82 घाट दीयों से सजाए जाते हैं. यही नहीं आतिशबाजी और आकाशदीप जलाकर कर देवों का अभिनंदन भी किया जाता है.

मान्यता यह है कि इस दिन स्वर्ग लोक से देव उतरकर पृथ्वी पर आकर दीपोत्सव यानी दीपावली मनाते हैं. देवों की इस दीपावली पर आमजन भी शामिल होकर पूरे गंगा घाटों को दीयों से सजाते हैं, जो लोगों को अभिभूत कर जाता है. इस कार्यक्रम के आयोजन को लेकर शासन-प्रशासन कई ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसे लोग बेहद ही पसंद करते हैं. वहीं जो भी व्यक्ति घाट पर आता है, वह अपने साथ एक दीया जरूर ले करके आता है. यह क्रम बढ़ते-बढ़ते घाटों पर करोड़ों दीयों में बदल जाता है और ऐसा लगता है मानो स्वर्ग धरती पर हो. इन दीयों को बनाने वाले कुम्हार दीपावली के साथ ही देव दीपावली की तैयारियों में भी जुट जाते हैं. ये कुम्हार घाटों पर सजने वाले दीयों का निर्माण दीपावली के दीयों के साथ ही शुरू कर देते हैं.

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