बनारस के ग्रामीण अंचल के OBOD उत्पाद वाराणसी:वर्तमान दौर में बनारस के ओडीओपी उत्पादों ने अपनी कारीगरी की धमक से विदेश में एक नया मुकाम हासिल किया है. इसी क्रम में अब बनारस के ग्रामीण अंचल के उत्पाद देश-दुनिया में पहचाने जाएंगे. इसके लिए सरकार ने ODOP के तर्ज पर OBOD की शुरुआत की है. इसके तहत अब बनारस के 8 ब्लॉक की पहचान वहां के उत्पादों के जरिए की जाएगी. जिसमें सिल्क, सूत, फूल, सब्जियां, रुद्राक्ष माला व अन्य स्थानीय उत्पाद होगा. इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से उद्योगों व स्वयं सहायता समूहों की मदद की जाएगी.
ओबीओपी यानी वन ब्लॉक वन प्रोडक्ट. गौरतलब है, ओबीओपी यानी वन ब्लॉक वन प्रोडक्ट योजना ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है. इसके अलावा वाराणसी में बनने वाले क्षेत्रीय उत्पादों को भी एक बड़ा बाजार व खुद का ब्रांड मिलेगा. सरकार इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तहत अभी वाराणसी में शुरू कर रही है. अगर यह योजना सफल रही, तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले के आठ ब्लॉकों का चयन किया गया है. इसमें आराजीलाइन, बड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ, विद्यापीठ, पिंडरा और सेवापुरी को शामिल किया गया है. गांव के उद्यम को मिलेगी पहचान: सीडीओ हिमांशु नागपाल ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के प्रयासों से ओडीओपी एक सफल कार्यक्रम बना है. अलग-अलग जिलों की अलग-अलग प्रोडक्ट्स के नाम पर पहचान बनी है. ऐसे ही हमारा प्रयास है कि ग्रामीण उद्यम को आगे बढ़ाया जाए. इसके लिए स्वयं सहायता समूह के द्वारा जो विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियां की जाती हैं, उसके माध्यम से उन्हें अलग-अलग व्यवसाय से जोड़ा जाए. ब्लॉक के प्रोडक्ट की पहचान कराते हुए उनकी ट्रेनिंग, क्षमता बढ़ाना और फिर जो सामग्रियों की जरूरत है, उसे देते हुए प्रोडक्ट को आगे लेकर जाया जाए.
प्रोडक्ट्स की पहचान करते हुए उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा:उन्होंने बताया कि जिन ब्लॉक में स्वयं सहायता समूह कार्य करते हैं और प्रगतिशील हैं. उन प्रोडक्ट्स की पहचान करते हुए ये कार्यक्रम आगे बढ़ाया जाएगा. जैसे कि अराजीलाइन में शिल्क उत्पादन के लिए 500 पावरलूम्स हैं. बड़ागांव में सूत की कताई का काम चलता है और चिरईगांव में फूलों की खेती का काम चलता है. इसी तरह चोलापुर में पूस की कतारी का काम होता है, काशी विद्यापीठ में मंदिर में रूद्राक्ष की मालाएं बनती हैं और पिंडरा में सफाई करने वाले उत्पादों को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाया जाता है.
लगभग 200 समूहों को हर प्रोडक्ट से जोड़ा जाएगा:सीडीओ ने बताया कि सेवापुरी में कई स्वयं सहायता समूह ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम करते हैं. ऐसे उत्पादों की पहचान कराते हुए हमने अलग-अलग समूहों की पहचान की है. इनकी हम ट्रेनिंग कराएंगे, उस काम के लिए उन्हें सामग्री दिलाएंगे. आगे वाले साल में हम कोशिश करेंगे कि हम 200 समूहों को हर प्रोडक्ट से नए तरीके से जोड़ें, जिससे उनका रोजगार का एक नया साधन उन्हें मिल पाए. जिस तरह से ओडीओपी ने विलुप्त हो रहे प्रोडक्ट्स को नई पहचान दी है. इसी तरह से ओबीओपी के प्रोडक्ट्स होंगे. ओबीओपी यानी वन ब्लॉक वन प्रोडक्ट सराकरी विभागों में उत्पादों को दे रहे बढ़ावा:हिमांशु नागपाल ने बताया कि अगर हम ध्यान देते हुए चलेंगे और प्रोडक्ट्स की पहचान कराएंगे, तो इससे एक ब्रांड भी बनेगा. हमने हाल ही में काशी प्रेरणा नाम से लोगो भी लॉन्च किया था. उस ब्रांड के तहत उसकी मार्केटिंग कराई जाएगी. जिस तरह सफाई उत्पाद पिंडरा में बनते हैं नगर निगम से, हेल्थ डिपार्डमेंट से, बेसिक शिक्षा विभाग से कोलैबरेट करके यह प्रयास किया गया है कि इन विभागों में पिंडरा के उत्पादों का प्रयोग किया जाए. इसी तरह से फूलों की खेती होती है तो हमारा प्रयास रहेगा कि शहर के अलग-अलग कार्यक्रमों आदि में उनका प्रयोग किया जाए. ODOP के तर्ज पर OBOD की शुरुआत उद्यमियों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य: उन्होंने बताया कि विकास भवन में बुके की शॉप शुरू की गई थी, जिनका सभी सरकारी कार्यक्रमों में उपयोग किया जाता था. शिल्क उत्पाद के लिए हम जितने भी पावरलूम हैं उन्हें बिना किसी शुल्क के सोलर युक्त करा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि उनकी इंटीग्रेटेड फैसिलिटीज बनाएं, जिनमें उनकी पैकेजिंग, उनकी फिनिशिंग जैसे काम किए जा सकें. यही कोशिश रहेगी कि जो पहले से काम कर रहे हैं उनकी आय दोगुनी करें. हमारा प्रयास रहेगा कि उन्हें जो भी जरूरी सामग्रियां है वे उपलब्ध कराई जाएं.
लोन दिलाने का भी काम किया जाएगा: हिमांशु नागपाल ने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि कम से कम हर ब्लॉक में जो प्रोडक्ट की पहचान की गई है. उनके अंदर कम से कम 200 स्वयं सहायता समूह जोड़ें. इसमें उनको लोन दिलाया जाएगा. इसके साथ ही सभी तरह जरूरी काम कराए जाएंगे. शिल्क प्रोसेसिंग यूनिट पर उन्होंने बताया कि खादी विलेज इंडस्ट्रीज बोर्ड के द्वारा जिस तरह से गुजरात में गांधी आश्रम में खादी उद्योग है, उसी तर्ज पर यहां पर भी प्रस्ताव आया है. इसमें आगे की जानकारियां फाइनल होनी हैं. इसमें सभी तरीके के जो खादी पर आधारित उद्योग हैं जैसे चरखा आदि, उन्हें आगे लेकर जाया जाएगा. यह भी पढ़ें: PM मोदी के हाथों बदलेगी मणिकर्णिका घाट की तस्वीर, नागर शैली से मंदिरों का होगा कायाकल्प