वाराणसी:वर्तमान समय में मोटापा सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है. हर तीसरा व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान है. इस वजह से वह कई बीमारियों से भी ग्रसित है. ऐसे में मोटापे को कैसे कम किया जाए, इसको लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईएमएस में माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शोध चल रहा है. इस शोध में प्रमुख रूप से गंगाजल सीवरेज के बैक्टीरिया से मोटापे को कम करने पर शोध का कार्य चल रहा है. शोध कर रहे BHU के वैज्ञानिकों का कहना है कि हम इस बैक्टीरिया को समाप्त करने पर शोध कर रहे हैं, जो शरीर में मोटापे को बढ़ा रहा है. इसमें गंगाजल और सीवर के पानी का प्रयोग किया गया है.
गंगाजल का बैक्टीरिया खत्म करेगा मोटापे की बीमारी, BHU कर रहा रिसर्च: चूहों पर प्रयोग से मिले सकारात्मक रिजल्ट
मोटापा जैसी गंभीर समस्या से लड़ने के लिए बीएचयू में शोध कार्य चल रहा है. आईएमएस में माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Microbiology at IMS) में गंगाजल और सीवर के पानी पर यह शोध हो रहा है. वैज्ञानिकों ने चूहों पर फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया को कम करने के लिए शोध किया है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Dec 10, 2023, 10:13 PM IST
|Updated : Dec 11, 2023, 9:40 AM IST
आज के दौर में लोगों के पास इतने काम हैं कि वह न तो अपने लिए खाना बना रहे हैं और न ही कसरत का काम कर रहे हैं. जिनके पास वक्त भी है तो वे मोबाइल फोन में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास किसी भी तरह का मेहनत का काम करने का समय नहीं है. ऐसे में शरीर के कुछ बैक्टीरियां हैं, जो हमारे शरीर में जाने वाले खाने के साथ मिलकर काफी तेजी से ग्रो करते हैं और वजन बढ़ाने का काम करते हैं. ऐसे में शरीर में मोटापा बढ़ जाता है. इसकी वजह जंक फूड के साथ ही साथ सीवर का बैक्टीरिया भी है. इसी चीज पर काम करने के लिए BHU के शोधकर्ताओं ने कई प्रयोग किए हैं. उनका कहना है कि इसके परिणाम जल्द ही मिलने वाले हैं.
एंटीबायोटिक का बेवजह प्रयोग भी बड़ा कारण:इस बारे में IMS, BHU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गोपालनाथ बताते हैं, 'मोटापे को दो चीजों से जोड़ा जा रहा है. एक तो डाइट से, दूसरा एंटीबायोटिक के बेवजह प्रयोग से. माना जा रहा है कि हम लोग एंटीबायोटिक ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं. ये भी हो सकता है कि ऐसे बैक्टीरिया मल्टिप्लाई होकर ग्रो कर जा रहे हों, जो एनर्जी हार्वेस्टिंग अधिक कर रहे हैं. आप कुछ भी खाएंगे वह आपका वजन बढ़ाएगा. इस तरह का रिसर्च चल रहा है. हम लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं. हो सकता है आने वाले डेढ़ साल में कुछ बेहतर परिणाम मिल जाए. अभी फिलहाल फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया देखा गया है, जो ज्यादातर ओबीज के मल के जांच के बाद पाया गया है.'
सिंपल कार्बन सोर्स को भी करता है यूटिलाइज:प्रो. गोपालनाथ ने बताया कि जब हम लोगों ने माइन्स रैट मॉडल में काम किया तो देखा कि उनको खिलाने से 30 फीसदी वजन बढ़ जाता है. जब उस बैक्टीरिया को खत्म कर दिया गया तो उनका वजन पहले जैसे ही वापस हो गया. जब तक इस पर दो-तीन बार एक्सपेरिमेंट नहीं हो जाता, तब तक परिणाम नहीं बता सकते हैं. हम लोगों का मानना है कि यह बैक्टीरिया बेसिकली सीवर का बैक्टीरिया है. हमारी बॉडी या इंटस्टाइन का पार्ट नहीं है. वह बाहर से आता है. इस बैक्टीरिया की खास बात ये भी है कि सिंपल कार्बन सोर्स को भी यूटिलाइज करके एनर्जी में कनवर्ट कर देता है. अगर कुछ भी न्यूट्रीशन न दिया जाए, तो भी यह मल्टीप्लाई होकर ग्रो करता है.
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सीवर वाले बैक्टीरिया से होती है दिक्कत:प्रो. गोपालनाथ बताते हैं कि खाने में जो भी चीज हम खा रहे हैं, उसको भी ब्रेक डाउन करके यह वजन बढ़ाता है. जो सीवर वाले बैक्टीरिया हैं, वह गट में नहीं आने चाहिए. अगर आते हैं तो कोई न कोई दिक्कत जरूर करते हैं. गट में आने से रोकने के लिए सेफ वाटर सप्लाई होना बहुत जरूरी है. साफ खाना भी होना चाहिए. आज के समय में मोटापे की सबसे बड़ी वजह जंक फूड की उपलब्धता है. उसके बाद जिस तरह का हम फूड खा रहे हैं उसके हिसाब से बैक्टीरिया ग्रो होता है. मान लीजिए कि कोई व्यक्ति 6 महीने तक सिर्फ मिल्क और मिल्क से बने प्रोडक्ट ले रहा है तो उसका बैक्टीरिया गट दूसरे तरीके का होगा. अगर वह सिर्फ नॉन वेजिटेरियन डाइट पर है तो उसका बैक्टीरिया अलग तरीके का होगा.
फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया हो सकता है कारण:प्रो. गोपालनाथ ने बताया कि जो बदलाव आया खाने के तरीके में उससे वजन बढ़ाने वाले बैक्टीरिया का विस्तार हो रहा है, जिससे एनर्जी हार्वेस्टिंग भी बेहतर हो रही है और खाने से एनर्जी भी ज्यादा मिल रही है. इसके अलावा लोग फिजिकल वर्क कर नहीं रहे हैं. तीनों चीजों पर केयर करना चाहिए. फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया में देखा गया है कि करीब-करीब 90 फीसदी लोग, जिनका वजन 100 किलो के ऊपर है उनके मल में फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया जरूर पाया जा रहा है. जो दुबले-पतले लोग हैं उनमें नहीं है. फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया वजन बढ़ने का कारण हो सकता है.'
30 फीसदी जनसंख्या को फैटी लीवर की समस्या:प्रो. गोपालनाथ ने एक और बीमारी के बारे में बातचीत की है, जो आजकल लगभग सभी में पाई जा रही है. उनका कहना है कि एक और बीमारी होती है फैटी लीवर. करीब 30 फीसदी भारतीय जनसंख्या में इसे पाया जाता है. इसमें लीवर में फैट जमा हो जाता है. बाद में वह लीवर को डैमेज करता है. लीवर फेल फी हो सकता है. यह परेशानी छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रही है. जब किसी बैक्टीरिया का विस्तार होने लगता है तो कभी-कभी वह एल्कोहल भी बनाने लगता है. अगर आप बाहर से अल्कोहल नहीं पी रहे हैं तो आपके शरीर में वह अल्कोहल बन रहा है.
आखिर कैसे किया जा रहा है शोध:प्रो. गोपालनाथ ने अपने शोध के बारे में जानकारी दी कि किस तरह से और किस प्रक्रिया के माध्यम से मोटापा बढ़ाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने का काम किया जा रहा है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने सीवर के पानी और गंगाजल के पानी से वायरस निकालकर शोध किया, जिसके परिणाम अच्छे आए हैं. प्रो. गोपालनाथ ने बताया कि हम लोग प्रूफ करने के लिए और इसके नियंत्रण के लिए भी फ्लेक्सिला न्यूमोनी बैक्टीरिया के वाटर सिस्टम से जिसमें सीवर का पानी और गंगाजल का भी पानी है उनसे निकालकर वायरस का हाईनंबर पर उसे पीने के पानी के माध्यम से चूहों को दिया. इस शोध में उनका वजन कम पाया गया. इस शोध को इंसानों में भी किया जा सकता है. इसको लेकर हमारा शोध का काम अभी चल रहा है.
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