वाराणसी: शिक्षा हर किसी के लिए बेहद जरूरी है चाहे वह लड़का हो या लड़की. शिक्षित होना सभी के लिए अनिवार्य है. यह सभी का उनके अधिकार हैं और इससे उन्हें कोई भी वंचित नहीं कर सकता. यही वजह है कि सरकारें भी लड़के और लड़कियां दोनों को शिक्षित करने के लिए लगातार लोगों को जागरुक करती रही हैं. इसी जागरूकता का असर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र और सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले वाराणसी में देखने को भी मिल रहा है. यहां की यूनिवर्सिटीज में छात्राओं की बढ़ रही संख्या यह अच्छे संकेत दे रही है कि अब लड़कियां लड़कों से किसी मायने में कम नहीं हैं. वाराणसी में मौजूद दो यूनिवर्सिटी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में लड़कियों की संख्या साल दर ऊपर की तरफ जा रही है, जो यह साफ कर रही है कि ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और उच्च शिक्षा हासिल करने के मामले में लड़कियां लड़कों से पीछे नहीं हैं.
2016 के मुकाबले बढ़ी है संख्या
वाराणसी को सर्व विद्या की राजधानी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर कई यूनिवर्सिटी मौजूद हैं. इनमें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एक अलग स्थान रखता है. महात्मा गांधी के द्वारा स्थापित की गई इस विद्यापीठ की स्थापना का उद्देश्य ही सर्वजन को शिक्षा उपलब्ध कराना था. सभी को समान शिक्षा का अधिकार मिले इस उद्देश्य से बापू ने इस यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी और अब यह सपना पूरा होता दिख रहा है. आंकड़े बताते हैं कि वाराणसी में संचालित होने वाली इस यूनिवर्सिटी में छात्रों की तुलना में छात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यदि आंकड़ों पर ही गौर करें तो 2015-16 में जहां 5229 स्टूडेंट्स के एडमिशन में 2917 छात्र और 2292 छात्राएं शामिल थीं, तो वहीं 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर छात्राओं के मामले में 2739 पर पहुंच गया है, जो यह साबित करता है कि साल दर साल छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है. इसकी बड़ी वजह यूनिवर्सिटी में छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ सुरक्षा भी है.