वाराणसी:काशी नगरी में शक्ति की आराधना का एक अलग रूप दिखाई देता है, क्योंकि शारदीय नवरात्र के मौके पर जिले में बनाए जाने वाले पूजा पंडाल और यहां होने वाली दुर्गा पूजा 'मिनी कोलकाता' के नाम से जानी जाती है. हर साल 350 से ज्यादा रजिस्टर्ड पूजा पंडालों में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा की स्थापना होती है, लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से न पूजा हो रही है और न ही पंडाल बनाए जा रहे हैं. हर साल सड़कों पर जगमगाती बिजली की झालरों और मां के भजनों से गूंजने वाले रास्ते इस बार सुनसान दिखाई देंगे, क्योंकि यूपी सरकार ने भले ही पूजा पंडालों की स्थापना और दुर्गा पूजा की अनुमति शर्तों के साथ दी है, लेकिन जिले में बढ़ रहे कोविड-19 मामलों की वजह से प्रशासन ने न पंडाल बनाने की अनुमति दी है और न ही पूजा करने की. यही वजह है कि इस बार हजारों परिवारों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.
नहीं मिली पूजा पंडाल की अनुमति
वाराणसी में 350 से ज्यादा रजिस्टर्ड दुर्गा पूजा पंडाल हर साल स्थापित किए जाते हैं. वहीं करीब 35 से ज्यादा दुर्गा पूजा समितियां ऐसी हैं, जो काफी पुराने वक्त से दुर्गा पूजा संपन्न करवा रही हैं और भव्यता के साथ बनारस ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में इनकी एक अलग पहचान है. इनमें से एक है वाराणसी दुर्गोत्सव समिति, दरअसल बनारस की सबसे पुरानी दुर्गा पूजा होने की वजह से यहां का उत्सव बहुत ही भव्यता के साथ होता है. बंगाली परिवारों की तरफ से शुरू हुई इस दुर्गा पूजा का इस बार 99वां वर्ष है, लेकिन आयोजन समिति के लोगों में मायूसी है. इसके पीछे की वजह यह कि न ही पूजा पंडाल निर्मित हुआ है और न ही प्रतिमा स्थापना की इजाजत मिली है. इसी वजह से पूजा समितियों में निराशा है. इस बार सिर्फ कलश स्थापना कर पूजा किए जाने की बात पूजा समिति से जुड़े लोग कर रहे हैं. हालांकि प्रयास अभी जारी है और कोशिश है कि छोटी प्रतिमा बैठाने की ही अनुमति मिल जाए, जिससे कि न परंपरा टूटे और न ही लोगों का उत्साह कम हो.
कोरोना के चलते अनुमति नहीं
पूजा समिति के अलावा वाराणसी के हथुआ मार्केट इलाके में होने वाली प्रीमियर ब्वॉज क्लब की दुर्गा पूजा, ईगल क्लब, काशी दुर्गोत्सव समिति, सनातन धर्म इंटर कॉलेज में होने वाले भव्य दुर्गा पूजा समेत सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति टाउनहॉल में होने वाली दुर्गा पूजा पुरानी और भव्यता के साथ संपन्न होने वाली दुर्गा पूजा बनारस में मानी जाती है, लेकिन इस बार कहीं भी आयोजन होगा, इसे लेकर संशय बना हुआ है. हालांकि जिलाधिकारी ने फोन पर हुई बातचीत में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह की कोई अनुमति पूजा समितियों को नहीं मिलने जा रही है. डीएम ने जानकारी देते हुए बताया कि न पूजा पंडाल बनाए जाएंगे और न ही प्रतिमा स्थापना की अनुमति होगी. अगर लोग परंपरा का निर्वहन करना चाहें तो वे मानक के अनुरूप कर सकते हैं, लेकिन भीड़ इकट्ठा नहीं करनी है.