वाराणसी: गंगा समेत सहायक नदियों को साफ-सुथरा कर अविरल और निर्मल बनाने की केंद्र सरकार की योजना पर नगर निगम पलीता लगा रहा है. वरुणा नदी के किनारे चल रहे अवैध बूचड़खानों से निकलने वाली गंदगी नालों के जरिए सीधे वरुणा में मिल रही है. इससे वरुणा के प्रदूषित होने के साथ-साथ गंगा भी प्रदूषित हो रही हैं. पिछले दिनों जांच करने आई एनजीटी की टीम ने वरुणा में गंदगी मिलने पर नाराजगी जताई और नगर निगम पर 27 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका.
वाराणसी: गंगा में गंदगी पर घिरा नगर निगम, NGT ने लगाया 27 लाख का जुर्माना
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अवैध बूचड़खानों से निकलने वाली गंदगी वरुणा नदी से होते हुए गंगा नदी में जा रही है. इसके लिए एनजीटी ने जांच के बाद वाराणसी नगर निगम पर 27 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी की इस कार्रवाई के बाद जिला प्रशासन के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
वरुणा नदी के पास नालों में जमा बूचड़खानों की गंदगी.
आखिर कैसे स्वच्छ और निर्मल होगी गंगा
- एनजीटी की ताजा रिपोर्ट ने वाराणसी में गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की पोल खोल दी है.
- वाराणसी में अवैध बूचड़खाने से निकलने वाली गंदगी वरुणा नदी से होते हुए गंगा में मिल रही है.
- एनजीटी की टीम ने करीब तीन महीने पहले नगर निगम के साथ गंगा और वरुणा के किनारे प्रदूषण के स्तर को जानने के लिए खुद जांच की थी.
- जांच में वरुणा नदी के किनारे चल रहे अवैध बूचड़खानों से निकल रही गंदगी नालों के जरिए सीधे वरुणा नदी में जाने के प्रमाण भी एनजीटी टीम को मिले थे.
- इस पर एनजीटी की टीम ने नाराजगी जताई थी और तत्काल अवैध बूचड़खानों को बंद करने के निर्देश दिए थे, लेकिन नगर निगम प्रशासन नहीं चेता.
- एनजीटी के ईस्टर्न यूपी रिवर एंड रिजर्वायर मॉनिटरिंग कमेटी के पैनल ने वरुणा और 80 नदियों के पानी की जांच करने के बाद रिपोर्ट दाखिल की.
- रिपोर्ट में वरुणा के किनारे अर्दली बाजार क्षेत्र से निकलने वाले नाले में आसपास के क्षेत्र में चल रहे अवैध बूचड़खाने से निकलने वाली गंदगी का नदी में जाने का खुलासा हुआ था.
इस मामले में एनजीटी के पैनल के अध्यक्ष रिटायर्ड न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने उस समय एनजीटी के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 का अनुपालन नहीं करने के मामले में नगर निगम पर 27 लाख रुपये जुर्माना लगाए जाने की सिफारिश की थी. इस सिफारिश पर नगर निगम पर 27 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. फिलहाल इस मामले में नगर निगम या जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से बचता दिख रहा है.