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विश्व धरोहर के रूप में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय को किया जाएगा स्थापित- कुलपति

वाराणसी के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के नए कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने शनिवार को कार्यभार ग्रहण किया. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय परंपरा को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाएगा. इस मौके पर उन्होंने कहा कि छात्रों के हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता होगी.

नए कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी
नए कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी

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Published : Jun 12, 2021, 8:22 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 10:24 PM IST

वाराणसी : सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में शनिवार को स्थायी कुलपति के रूप में लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सर्व दर्शन विभाग के प्रो हरेराम त्रिपाठी ने पद ग्रहण किया. जहां उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से जो सीखा है उसे लौटाने का समय है. बातचीत में उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ ही, विश्व विद्यालय में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठना और यहां छात्र हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता होगी.

'नई शिक्षा नीति को किया जाएगा लागू'

उन्होंने नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए कहा- नई शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाएगा. स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि रोजगार परक कोर्स खोले जाएंगे, साथ ही उन्होंने प्राचीन प्रबंधशास्त्र पर पाठ्यक्रम शुरू करने की बात की. उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़े लगभग 1000 महाविद्यालयों के विकास की बात करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत इन संस्थानों का विकास करना है.

नए कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी कार्यभार ग्रहण किया.



'पर्यटक स्थल के रूप में विश्वविद्यालय को किया जाएगा विकसित'

उन्होंने बताया कि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राचीन वेदशाला और ज्योतिष खगोली गणना के केंद्र हैं, जिससे आने वाले समय में इनको विकसित किया जाएगा. इससे विश्वविद्यालय संस्कृत जगत में एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाएगा और लोग इसको देखने के लिए आयेंगे. उन्होंने विश्वविद्यालय के मूर्धन्य विद्वानों का जो इस विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे, उनके जीवन पर एक वृत्तचित्र डॉक्यूमेंट्री बनाने की बात कही. उन्होंने बताया कि इससे आने वाली पीढ़ियां अपने विद्वानों से परिचित हो सकेंगी और उनका लाभ ले सकेंगी. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही ग्रन्थालय को डिजिटलीकरण करने का पूर्णत: प्रयास करेंगे.

Last Updated : Jun 12, 2021, 10:24 PM IST

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