वाराणसी: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा बनारस में 6 घंटे तक रहे. करीब 6 घंटे के इस वक्त में उन्होंने एक तरफ जहां मंदिरों में दर्शन पूजन करते हुए अपनी यात्रा को धार्मिक रंग देकर नेपाल में आगामी चुनावों से पहले खुद को हिंदुत्व का एक बड़ा चेहरा साबित करने की कोशिश की तो वहीं, भारत नेपाल मैत्री का एक मजबूत पुल पर्यटन की दृष्टि से बनारस से तैयार करने का भी प्रयास किया.
पर्यटन के लिए नेपाल और भारत आने वाले वक्त में कई बड़े फैसले भी ले सकते हैं क्योंकि दोनों देशों में पर्यटन का मुख्य कारोबार है. धार्मिक यात्रा के लिए भारत के लोग नेपाल जाते हैं. गौरतलब है कि नेपाल के लोग भी भारत आते हैं और काशी इसका प्रमुख केंद्र है. यही वजह है कि नेपाली पीएम ने मंदिर में सम राजेश्वर पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचकर पूजा-पाठ के साथ ही मंदिर के कायाकल्प और यहां रहने वाली नेपाली महिलाओं के लिए नए भवन का भूमि पूजन भी किया.
फिलहाल, वाराणसी से आज इन दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंध को मजबूत करने की एक बड़ी शुरुआत धार्मिक यात्रा के साथ मानी जा सकती है. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि विश्वनाथ धाम से ही अब इससे सटे सम राजेश्वर पशुपतिनाथ मंदिर तक जाने के रास्ते को भी खोल दिया गया है. यह यहां आने वाले पर्यटकों को बड़ी सौगात होगी. वह बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद सीधे नेपाल यानी पशुपतिनाथ से भी कनेक्ट हो सकेंगे.
बनारस से नेपाल-भारत के रिश्ते होंगे मजबूत
पड़ोसी मुल्क भी अब भारत से रिश्ते सुधारने लगे हैं. नेपाल का यह कदम निश्चित तौर पर दोनों देशों के रिश्तों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. नेपाल के प्रधानमंत्री का भारत दौरा और भारत दौरे के दौरान बनारस आकर यहां के मंदिरों में दर्शन पूजन करते हुए हिंदुत्व के एक बड़े चेहरे को प्रस्तुत करने का उनका प्रयास न सिर्फ आगामी नेपाल के चुनाव में उनको या उनकी पार्टी को बड़ा फायदा दे सकता है बल्कि पर्यटन के लिए मजबूत आधार का काम कर सकता है.
पर्यटन बनेगा बड़ा आधार
बनारस में नेपाल सरकार के अधीन समराजेश्वर पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल सरकार के कार्यालय और लगभग 200 साल से पुरानी विरासत आज भी काशी में मौजूद है. विश्वनाथ कॉरिडोर से सटी इस इमारत और विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर से ही इस स्थान का रास्ता भी अब निकल चुका है. इसलिए विश्वनाथ कॉरिडोर आने वाले भक्त और पर्यटक अब यहां भी पहुंचने लगे हैं.