वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां गंगा को साफ करने के लिए 2014 में बनारस में ऐलान किया था. इसके बाद नमामि गंगे योजना की शुरुआत की गई थी. इसके साथ ही गंगा निर्मली करण का प्लान तेजी से आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार लंबे वक्त से काम कर रही है. इन्हीं कार्यों की हकीकत देखने और नमामि गंगे योजना के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए भारत के पड़ोसी देशों के प्रतिनिधि बनारस भ्रमण पर आए हैं. इन प्रतिनिधियों से नमामि गंगे के संयोजक राजेश शुक्ला ने मुलाकात की. राजेश शुक्ला ने योजना के बारे में टीम के लोगों को जानकारी दी.
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योजना के संयोजक से हुई मुलाकात
श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, थाईलैंड, अफगानिस्तान समेत 34 देशों के अफसर प्रतिनिधिमंडल के रूप में वाराणसी आए हुए हैं. कल इन सभी ने इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया. यहीं पर नमामि गंगे योजना के संयोजक राजेश शुक्ला से मुलाकात भी की. राजेश शुक्ला 7 सालों से 84 गंगा घाटों पर स्वच्छता की अलख जगाते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. राजेश शुक्ला ने बताया कि कई वर्षों से यह कार्य किया जा रहा है. पॉलिथीन मुक्त घाट की अपील के फल स्वरूप गंगा और घाटों की स्वच्छता में काफी बदलाव देखने को मिला है. अब लोग भी गंगा में कूड़ा, कचरा, माला, फूल आदि फेंकने से कतराते हैं. लोग गंगा घाटों पर डस्टबिन की तलाश कर उसमें ही कचरा डालते हैं.
नौका विहार कर जानी हकीकत
बैठक में प्रतिनिधिमंडल के लोगों ने हकीकत जानने के बाद नौका विहार कर इसकी वास्तविकता को भी परखा. प्रतिनिधिमंडल के लोगों का भी यही मानना था कि गंगा की स्थिति सच में पहले से बेहतर हुई है. यह दिखाई भी दे रही है.