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देश के इतिहास को नए सिरे से लिखने की जरूरत: अमित शाह

अमित शाह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भारत अध्ययन केंद्र की तरफ से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस अवसर पर उन्होंने गुप्त सम्राट स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के जीवन पर प्रकाश डालने के साथ ही नए सिरे से देश का इतिहास लिखे जाने पर बल दिया.

अमित शाह.

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Published : Oct 17, 2019, 2:42 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में गृहमंत्री अमित शाह ने आज गुप्त सम्राट स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के जीवन पर प्रकाश डालने के साथ ही नए सिरे से देश का इतिहास लिखे जाने पर बल दिया. अपनी बातें स्कंद गुप्त विक्रमादित्य और भारत के इतिहास के संदर्भ में लोगों के सामने रखीं. उन्होंने जिस तरह से महान योद्धा स्कंद गुप्त की वीरगाथा की कहानी अपने शब्दों में बयां की उसे सुनकर हर कोई यह जानने को उत्सुक हो गया कि आखिर स्कंद गुप्त कौन हैं.

जानकारी देते संवाददाता.
दरअसल गुप्त शासन काल में स्कंद गुप्त वह नाम है, जिसने चीन से लेकर अन्य देशों में आतंक मचाने वाले को देश से भगाने का काम किया था. 455 ईसवी पूर्व स्कंद गुप्त ने उस वक्त गद्दी संभाली जब सम्राट कुमारगुप्त का निधन हुआ. बेटा री स्तंभ पर लिखे लेख के मुताबिक विरोधियों को परास्त कर स्कंद गुप्त ने गद्दी संभाली और अपनी मां से मिलने गए. उस वक्त यह विदेशी हमलावर ईरान और चीनी सभ्यता को बर्बाद कर भारत की सीमा तक पहुंच गए थे. जिनसे चीन ने भी हार मानकर विश्व की सबसे लंबी दीवार खड़ी की.
स्कंद गुप्त ने भारत में इनको घुसने से पहले ही सबक सिखा कर परास्त किया. इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है इतने लंबे गुलामी के कालखंड के बाद स्कंद गुप्त को पढ़ने के लिए 100 पेज मांगे जाएं तो शायद वह उपलब्ध नहीं होंगे, इसलिए मेरा सब से आग्रह है कि भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से पुनः लेखन किया जाए. यह बेहद जरूरी है. इसमें हमें किसी को दोष देने की जरूरत नहीं है. यह हमारा खुद का दोष है कि हमने इसे किस तरीके से देखा, इतने सारे बड़े-बड़े साम्राज्य जिनका हम संदर्भ ग्रंथ नहीं बना पाए. उनके बारे में आज सोचने की जरूरत है.

सिख गुरुओं के बलिदान को भी हम इतिहास में संजोकर नहीं रख पाए. वीर सावरकर न होते तो शायद सन 1857 की क्रांति भी इतिहास न बनती. उसको भी हमने अंग्रेजों की दृष्टि से देखा, जबकि वीर सावरकर ने ही सन 1857 की क्रांति को पहला स्वतंत्रता संग्राम नाम दिया. मैं मानता हूं कि वामपंथी अंग्रेजी विचारकों और इतिहासकारों ने जो कुछ लिखा, इनको दोष देने से कुछ नहीं होगा. अब जरूरत है हमें दृष्टिकोण बदलने की. हमें हमारी मेहनत कर दिशा को केंद्रित करना होगा. यह बड़ा सवाल है कि क्या हमारे देश के इतिहास के 200 व्यक्तित्व, 25 साम्राज्य को इतिहास का हिस्सा नहीं बना सकते.

इस देश में 200 ऐसे व्यक्तित्व जिनके कारण देश आज तक यहां पहुंचा. ऐसे 25 साम्राज्य हैं, कालखंड हैं जिन पर इतिहास को पुनः लेखन करने की जरूरत है. वर्तमान इतिहासकारों को नए दृष्टिकोण के साथ नए इतिहास को लिखने की जरूरत है. मेरा मानना है कि इस विवाद में मत पढ़िए कि किसने क्या लिखा और किसने क्या नहीं, बल्कि तलाश कर नए तरीके से इतिहास को लिखिए, ताकि आने वाला साल हजारों हजार सालों तक आपके लिखे इतिहास को ही जाने.

गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में आज देश फिर से एक बार अपनी गरिमा को पुनः प्राप्त कर रहा है. आज पूरी दुनिया के अंदर भारत का सम्मान मोदी जी के नेतृत्व में बड़ा है. पूरी दुनिया के अंदर भारत के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में स्वीकृति जगह-जगह दिखाई दे रही है. पूरी दुनिया भारत के विचारों को महत्व देती है. दुनिया के किसी भी कोने में कुछ भी हो जाए भारत के प्रधानमंत्री क्या बोलते हैं इस पर हर किसी की दृष्टि होती है. यह महत्वपूर्ण होता है भारत का एक अलग महत्व दुनिया के अंदर स्थापित करने का काम हमारे प्रधानमंत्री और आपके सांसद नरेंद्र मोदी ने किया है.

आज दो दिन के सेमिनार में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे विद्वानों ने जो कुछ लिखा है, हम इससे बिना छेड़ छाड़ किए नए शिरे से पुन: लिखने पर बल देने चाहिए.
-अवधेश सिंह, बीजेपी विधायक

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