वाराणसीः गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा प्राचीन मोहल्ला भदैनी अस्सी क्षेत्र में स्थित है. इस अखाड़े में कुश्ती लड़ कर युवा आज रेलवे, आर्मी, पुलिस सहित कई संस्थानों में कोच के रूप में कार्य कर रहे हैं. किसी जमाने में यहां के पहलवान कल्लू पहलवान राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी किया करते थे.
बनारस में दर्जन भर से ज्यादा अखाड़े आज भी शहर में मौजूद हैं. जिसमें लाल कुटिया अखाड़ा, महामृत्युंजय मंदिर अखाड़ा, गोस्वामी अखाड़ा प्रमुख हैं. यहां पर आज भी दंगल का आयोजन किया जाता है. ऐसे ही एक अखाड़ा है गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा. यहां युवकों के साथ युवतियां भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखती हैं.
श्रीराम और हनुमान जी के अनन्य भक्त और श्री राम चरित्र मानस की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवन का बहुत समय काशी के तुलसी घाट पर बिताया. यहीं पर उन्होंने राम चरित्र मानस के कुछ अंश की रचना भी की. साथ ही यहीं पर एक अखाड़े का निर्माण किया. आज लगभग साढ़े 400 वर्ष बीत चुके हैं. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित अखाड़ा आज भी मौजूद है और लोग आस्था के साथ इस अखाड़े में आते हैं. कुश्ती-दंगल और जोड़ी फेरते हैं.
बनारस का अनोखा अखाड़ा
गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े को बनारस का अनोखा अखाड़ा इसलिए कहा जाता है. क्योंकि यही वह अखाड़ा है जहां पहली बार लड़कियों को अखाड़े में जाने की अनुमति दी गई थी. यहीं से लड़कियों ने कुश्ती लड़ अंतरराष्ट्रीय लेवल तक अपनी पहचान बनाई. नाग पंचमी के दिन भी लड़कियों ने लड़कों के साथ और लड़कियों ने एक दूसरे से जमकर कुश्ती की. साल 2018 से महान संकट मोचन मंदिर स्वामी विशंभर नाथ मिश्र ने इस कुश्ती का प्रारंभ किया था.