वाराणसी: काशी का इतिहास कितना पुराना है कि इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता. कहते हैं कि काशी वह जीवांत शहर है जिसको खुद देवाधि देव महादेव ने बसाया था. यही वजह है कि काशी में ऐसे रहस्य छुपे हैं जो शायद आज तक उजागर नहीं हो सके हैं. ऐसे ही रहस्यों में एक ऐसे मंदिर का जिक्र ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट में किया गया था.('पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका है काशी का यह मंदिर') इस खबर के मध्याम से आपको वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित उस अलौकिक और अद्भुत मंदिर की जानकारी दी थी जो विज्ञान के लिए भी एक चैलेंज है.
गंगा किनारे बसे इस रत्नेश्वर महादेव मंदिर का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्वीट में ईटीवी भारत की खबर के बाद किया था. इसके बाद यह मंदिर चर्चा में आया, लेकिन इन सबके बीच आज हम इस मंदिर के उस पहलू से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसे कम लोग ही जान सकते हैं और देख सकते हैं.
काफी मेहनत के बाद सामने आए शिवलिंग
गंगा किनारे बना रत्नेश्वर महादेव मंदिर लगभग 400 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. इस मंदिर को उसके अद्भुत डिजाइन के लिए हर तरफ एक अलग पहचान मिलती जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मंदिर को लेकर पिछले दिनों एक ट्वीट कर इसकी भव्यता का जिक्र किया था. इसके बाद यहां पर पर्यटकों की भीड़ बढ़ने लगी, लेकिन पर्यटक मायूस थे. क्योंकि मंदिर तो दिखता था, लेकिन विद्यमान शिवलिंग के दर्शन नहीं होते थे. लगभग 20 दिन की मेहनत के बाद मंदिर के गर्भगृह से मिट्टी और पानी बाहर निकाला जा सका. साथ ही अंदर मौजूद भव्य और सुंदर शिवलिंग के दर्शन भक्तों को होने लगे.