वाराणसी:यूपी के संस्कृति, पर्यटन एवं धमार्थ कार्य राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने संस्कृति विभाग और उ.प्र. की तीन स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्यों की समीक्षा की. बता दें कि राज्यमंत्री ने उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी, भारतेन्दु नाट्य अकादमी और जैन विद्या शोध संस्थान के कार्यों की समीक्षा की. साथ ही इस दौरान कोरोना महामारी के बाद बदली हुई परिस्थितियों में भविष्य की रूपरेखा हेतु विभागीय निर्धारित करने के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश प्रदान किये.
'कोरोना से बचाव सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग है'
बैठक में डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की शुरूआत विश्वव्यापी महामारी कोरोना के संकट से हुई, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग सबसे महत्वपूर्ण बचाव है. साथ ही संस्कृति विभाग का सबसे बड़ा उद्देश्य सामाजिकता को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक आयोजनों, सेमिनार और गोष्ठियों के मूल उद्देश्यों में निहित है.
'नए विकल्पों की तलाश की जाए'
राज्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण भविष्य में लम्बे समय तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. साथ ही ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए विभाग को अपनी रणनीति बड़़ी सूझबूझ से बनानी होगी. साथ ही संस्कृति विभाग और उसकी स्वायत्तशासी संस्थाओं का अस्तित्व इस चुनौती को स्वीकार कर नये विकल्पों की तलाश में ही है.
'संगीत प्रतियोगिताओं का डिजिटल आयोजन किया जाए'
राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी ने उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की समीक्षा करते हुए यह निर्देशित किया कि संगीत प्रतियोगिताओं का डिजिटल आयोजन किया जाए. साथ ही दूरदर्शन और अन्य चैनल के माध्यम से गायन, वादन और नृत्य के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किये जाए. साथ ही यूट्यूब पर संगीत नाटक अकादमी की उपलब्ध सामग्री अपलोड की जाये और आगामी ग्रीष्म ऋतु में की जाने वाली कार्यशालाओं हेतु विशेष आयोजन किये जाए.