वाराणसीः 13 दिसंबर को विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया जाएगा. जिसको लेकर पूरे काशी को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. एक ओर जहां घर-घर पम्पेलट और मिठाई बांटे जाने की तैयारी चल रही है, तो वहीं काशी के प्रबुद्ध जनों में आमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं. इसी क्रम में विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के द्वारा वाराणसी में पहला आमंत्रण पत्र महानगर उद्योग व्यापार समिति के अध्यक्ष प्रेम मिश्रा को दिया गया. उनसे बाबा विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में शामिल होने की अपील की गई.
बात आमंत्रण पत्र की करें तो तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि बाबा के आमंत्रण पत्र को कितना भव्य और सुंदर बनाया गया है. तस्वीर में जहां एक ओर बाबा के स्वर्ण शिखर को बनाया गया है, तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगाई गई है. भव्य विश्वनाथ धाम के स्वरूप को दर्शाया गया है. इसके साथ ही आमंत्रण पत्र के अंदर बाबा विश्वनाथ के मंदिर के बारे में बताया गया है कि किस तरीके से बाबा के धाम को भव्य बनाया गया है. इसके साथ ही आमंत्रण पत्र में काशी के प्रबुद्धजनों से अपील भी की गई है कि लोकार्पण के मनोहर बेला में शामिल होकर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करें.
पहला आमंत्रण पत्र मिलने के बाबत व्यापारी प्रेम मिश्रा ने बताया कि वो बेहद प्रफुल्लित हैं कि उन्हें बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद मिला है कि वो लोकार्पण की बेला में बाबा के परिसर में मौजूद होंगे. उनकी भव्यता को देख सकेंगे. उन्होंने बताया कि ये काशी ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए गौरव की बात है और जनता बेहद उत्साहित है कि अब हमारे नाथ का एक नया भव्य घर होगा, जहां वो विराजमान रहेंगे. उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई के बाद बाबा विश्वनाथ धाम में अगर किसी व्यक्ति को याद रखा जाएगा, तो वो होंगे प्रधानमंत्री मोदी. जिन्होंने बाबा के इतने भव्य धाम का निर्माण कराया और मां गंगा और महादेव का मिलन कराया.
अहिल्याबाई होल्कर का परिचय
अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई, 1975 को हुआ था. महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के जामखेड के नजदीक चोंडी गांव में उनका जन्म हुआ था. उनका शुरुआती जीवन काफी कठिनाइयों से भरा रहा. उनके पिता मनकोजी सिंधिया बीड जिले के रहने वाले एक सम्मानित परिवार से संबंध रखते थे. ये गांव के पाटिल थे. पिता ने अहिल्याबाई को कभी स्कूल नहीं जाने दिया, उनके पिता ने ही उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया था. 1733 में यानी महज आठ साल की उम्र में ही उनका विवाह मल्हार राय खांडेकर के बेटे खांडेराव होलकर से कर दिया गया था. इसके बाद से ही उनके जीवन ने एक विशेष मोड़ लिया.