वाराणसी: 5 सितंबर को देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत रत्न मदन मोहन मालवीय के बाद 1939 से लेकर 1948 तक सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने बतौर कुलपति के रूप में कार्य किया और विश्वविद्यालय स्थापना के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ाया.
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डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के गुलामी के समय विश्वविद्यालय के कुलपति हुआ करते थे. 1942 में डॉ0 सर्वपल्ली के कार्यकाल में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश फौज विश्वविद्यालय के अंदर प्रवेश कर क्रांतिकारी छात्रों को गिरफ्तार करना चाहती थी. ऐसे में विश्वविद्यालय की गेट पर स्वयं कुलपति डॉ0 सर्वपल्ली खड़े हो गये और अंग्रेजी शासन को वापस जाने को मजबूर किया.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि डॉ0 सर्वपल्ली ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में काशी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास को ऊंचाइयों पर पहुंचाया. 1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन हो रहा था तो बिड़ला हॉस्टल क्रांतिकारियों को गाढ़ रहा था. बंगाल के क्रांतिकारी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शरण पाए हुए थे.
उस समय कुलपति रहे डॉ0 सर्वपल्ली स्वयं गेट पर खड़े हो गये और ब्रिटिश फौज को रोक दिया. उन्होंने कहा कि मेरी लाश पर से ब्रिटिश फौज काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भीतर जायेगी. डॉ0 साहब का सीधे सीधे सिद्धांत था कि विश्वविद्यालय में रहने वाला छात्र अपराधी नहीं हो सकता. मुझे लगता है यह बीएचयू और काशी की जनता के लिए गर्व की बात है.