वाराणसी:14 जनवरी 2020 को जब सैनिक जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में अपनी ड्यूटी कर रहे थे, तभी अचानक हिमस्खलन हो जाने के बाद सेना के कई सैनिक बर्फ में दब गए. उन्हीं सैनिकों में एक थे लक्ष्मण बीसी. बर्फ में दबने से घायल हुए भारतीय सेना के जवान ने देश की सेवा करते हुए अपनी कुर्बानी दे दी. रविवार को वाराणसी के हरीशचंद्र घाट पर शहीद को मुखाग्नि दी गई.
वाराणसी: हरिश्चंद्र घाट पर दी गई देश के लाल लक्ष्मण को मुखाग्नि - varanasi latest news
कश्मीर कुपवाड़ा में हुए हिमस्खलन में दबने से लक्ष्मण बीसी देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. लक्ष्मण बीसी 39 जीटीसी वाराणसी में ट्रेनिंग प्राप्त कर जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में देश की सेवा कर रहे थे.
बर्फ में दबे हुए कई सैनिक देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. बर्फ में दबे हुए सैनिकों में से एक सैनिक लक्ष्मण बीसी भी थे, जो नेपाल के रहने वाले थे. लक्ष्मण बीसी 39 जीटीसी वाराणसी में ट्रेनिंग प्राप्त कर जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में देश की सेवा कर रहे थे. 14 जनवरी को हुए हिमस्खलन में उन्होंने अपने जान की आहुति दे दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए अपनी संवेदना सैनिकों के परिवारों के साथ जताई है. शहीद का पार्थिव शरीर 39 जीटीसी पहुंचा तो मां-बाप और भाई का रो-रो कर बुरा हाल था. लक्ष्मण बीसी महज 2 साल ट्रेनिंग करने के बाद देश को अपनी सेवा दे रहे थे, जिनकी शादी भी कुछ साल पहले हुई थी. उनकी 15 दिन की बेटी भी है, जिसे वे अलविदा कह गए.
हिमस्खलन होने के बाद काफी देर तक जद्दोजहद करने के बाद सैनिकों के पार्थिव शरीर को खोज निकाला था. सैनिक ने जिस जगह ट्रेनिंग की है, उसी जगह उनके पार्थिव शरीर को भेजा गया. लक्ष्मण बीसी का परिवार नेपाल में रहता है और उनके बड़े भाई नेपाल आर्मी में काम करते हैं. लक्ष्मण बीसी अपनी सेवा भारतीय सेना में दे रहे थे. रविवार को वाराणसी के हरीशचंद्र घाट पर शहीद को मुखाग्नि दी गई.