वाराणसीःकाशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर में बाबा को जल्द ही महामना पेड़ा बर्फी का भोग लगेगा. इसके लिए डेयरी विभाग में शुद्ध दूध से हाइजीनिक लाल पेड़ा बर्फी तैयार की जा रही है. इसका नाम छात्रों ने महामना या मालवीय पेड़ा रखा है. उद्यमिता मॉडल पर बीएचयू डेयरी विभाग के छात्र दुकान का संचालन भी स्वयं करेंगे.
बीएचयू में मालवीय पेड़ा बनाते विद्यार्थी. आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिलेगा बल
आपदा में अवसर और आत्मनिर्भर भारत बनाने की प्रेरणा भी छात्रों को मिल रही है. बीएचयू में छात्रों को लाल पेड़ा और बर्फी बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. मंदिर के सामने प्रसाद के लिए दुकान लगाई जाएगी और इसका संचालन छात्र ही करेंगे. इससे छात्र किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरणा मिलेगी और छात्रों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा.
श्रद्धालुओं को मिलेगा शुद्ध प्रसाद
काशी घूमने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. काशी आने वाले लोग बीएचयू के विश्वनाथ मंदिर जरूर जाते हैं. जो भी भक्त बाबा के दर्शन करने आएंगे, वे प्रसाद के रूप में महामना पेड़ा ले जाएंगे. इसे खास इस तरह से बनाया गया है. इससे यह ज्यादा दिन तक चलेगा.
दिया जा रहा है उद्यमिता संवर्धन प्रशिक्षण
प्रोफेसर डीसी राय ने बताया छात्रों और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उद्यमिता संवर्धन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें विद्यार्थियों को स्वरोजगार की बारीकियाें के साथ ही उद्योग स्थापित करने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसकी शुरुआत हम लोगों ने लाल पेड़े से की है. महामना पेड़ा बनकर तैयार हो गया है. इसका टेस्ट लोगों को बहुत ही अच्छा लगा. शुद्धता की वजह से पहले दिन ही सारा बिक गया.
जल्द लगाई जाएगी दुकान
प्रो राय ने बताया वैश्विक महामारी के दौर में आई गाइडलाइन के कारण सारे शिक्षण संस्थान और लैब बंद हैं. छात्र भी यहां आकर यह कार्य फिर से शुरू करना चाहते हैं. हम यूजीसी की गाइडलाइन के तहत अपना सारा कार्य कर रहे हैं. छात्र जैसे ही आना प्रारंभ करेंगे, हम अपना प्रोडक्ट फिर से शुरू कर देंगे. इसमें महामना पेड़ा, लाल पेड़ा, मालवीय पेड़ा, मालवीय बर्फी, हर्बल आइसक्रीम शामिल हैं. महामना पेड़े को बीएचयू विश्वनाथ मंदिर के पास दुकान लगाकर जल्द ही बेचा जाएगा. बीएचयू में पड़ने वाले सभी छात्र छात्राएं कर्मचारी भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय को पूजते हैं.इसी से प्रेरणा पाकर छात्रों ने इस पेड़ का नाम महामना पेड़ा मालवीय पीड़ा रखा है.