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'मैं ब्राह्मण हूं' ने मनाया नाथूराम गोडसे सम्मान दिवस

देश में 30 जनवरी को जहां एक ओर महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथि मनाई गई, वहीं शनिवार को वाराणसी में 'मैं ब्राह्मण हूं' समिति ने बापू की हत्‍या करने वाले नाथूराम गोडसे का सम्मान दिवस भी मनाया. आगे पढ़ें पूरी खबर.

नाथू राम गोडसे सम्मान दिवस
नाथू राम गोडसे सम्मान दिवस

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Published : Jan 30, 2021, 7:43 PM IST

वाराणसी: जिले में शनिवार को नदेसर स्थित कार्ययालय पर नाथूराम गोडसे का सम्मान दिवस मनाया गया. समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत त्रिपाठी में नाथूराम गोडसे की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुवात की. 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे की याद में लखनऊ, चुनार, सोनबरसा और मिर्जापुर के कार्यालयों में सम्मान दिवस मनाया गया. उसी क्रम में शनिवार को वाराणसी में भी कार्यकम का आयोजन किया गया.

नाथूराम गोडसे सम्मान दिवस
1948 की घटना की याद में किया सम्मान दिवस आयोजनमैं ब्राह्मण हूं समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत त्रिपाठी ने बताया कि 30 जनवरी 1948 में घटित हुई घटना की याद में नाथूराम गोडसे का सम्मान दिवस मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उस समय की घटना की प्रासंगिकता को नापने की कोशिश की जा रही है. भारत की आजादी के बाद जिस प्रकार से विभाजन के कारण हिन्दू समाज पर खतरा मंडराया, उसके बाद लाखों लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई. विभाजन के बाद हिन्दुओं के लिए नाथू राम गोडसे ने उठाया कदमअजीत त्रिपाठी ने कहा कि भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद लाखों की संख्या में हिन्दुओं की हत्या कर दी गयी थी. हिन्दुओं की सकुशल वापसी को लेकर कोई कार्यक्रम नहीं किया गया, जिसका सबसे पहला विरोध नाथूराम गोडसे के द्वारा किया गया था. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि विभाजन के समय जब एक मुस्लिम राष्ट्र का निर्माण किया गया, तो वीर सावरकर के सिद्धांतों के अनुसार एक हिन्दू राष्ट्र का निर्माण क्यों नहीं किया गया? अगर नहीं बनाया गया, तो हिन्दुओं की सकुशल वापसी का प्रयत्न क्यों नहीं किया गया? विचारधारा को लोगों तक पहुंचाने का प्रयासअजीत त्रिपाठी ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम के जरिये हम पं. नाथूराम गोडसे की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. इस विचारधारा को अपनाना हिन्दू समाज में हितकारी गोडसे की विचारधारा से नए हिन्दू समाज का रचना की जा सकती है. उन्होंने बताया कि गोडसे और महात्मा गांधी में सिर्फ विचारधारा का फर्क था.

गांधी जी की हत्या न्यायोचित नहीं
अजीत त्रिपाठी ने कहा कि 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या न्यायोचित नहीं थी, मगर नाथू राम गोडसे ने जिस सोच के कारण हत्या की, वह आज के समय ने प्रासंगिक है. यही कारण है कि आज गांधी जी की पुण्यतिथि पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, क्योंकि 30 जनवरी 1948 की लड़ाई, दो विचार धाराओं की लड़ाई थी और आज देश को एक विचार धारा तो चुननी ही होगी, चाहे वह नाथू राम गोडसे की हो या महात्मा गांधी की.

आज भी भारत में पाकिस्तना का अस्तित्व जिन्दा है
अजीत त्रिपाठी ने कहा कि आज भी भारत में पाकिस्तान का अस्तित्व कहीं न कहीं जिन्दा है. उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ क्रिकेट मैच का उदहारण लिया जाय, तो पाकिस्तान का अस्तित्व भारत में साफ तौर पर देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि आज हमें भारत के विषय में कहना और मांगना पड़ेगा, क्योंकि आज के समय में बिना मांगे कुछ भी नहीं मिलने वाला है.

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