उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

2 अक्टूबर महात्मा गांधी विशेष : जापानी मॉडल पर बापू ने रखी थी विद्यापीठ की आधारशिला

सन् 1921 में महात्मा गांधी ने काशी विद्यापीठ की आधारशिला रखी थी. इसकी प्रेरणा कहां से मिला और इससे पहले यह विद्यालय कहां और कैसे संचालित होता. इस सवालों के जवाब जाने इस रिपोर्ट में...

etv bharat
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

By

Published : Oct 2, 2022, 10:06 PM IST

वाराणसी:महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यानी कि पूर्वांचल का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय जहां प्रतिवर्ष लाखों विद्यार्थी डिग्रियां हासिल कर अपने भविष्य के सपने को पूरा करते हैं. इस विश्वविद्यालय की उपलब्धियों में कई ऐसी कहानियां हैं जो इसे अपने आप में ऐतिहासिक होने के साथ एक नई पहचान देती हैं. इन्हीं में से एक कहानी से जापान से जुड़ी हुई. यह पहचान विद्यापीठ के अस्तित्व की है. ये देश का पहला ऐसा सह शिक्षा का विश्वविद्यालय है, जो जापान मॉडल की तर्ज पर विकसित किया गया. बड़ी बात यह है कि इसे बनाने में जहां बापू शिव प्रसाद गुप्त ने रूपरेखा तैयार की, तो महात्मा गांधी इसके प्रेरणास्रोत बने.

जापानी मॉडल पर बापू ने रखी थी विद्यापीठ की आधारशिला
महात्मा गांधी का संकल्प रहा है विद्यापीठ: महात्मा गांधी का संकल्प विद्यापीठ रहा है और इस संकल्प को पूरा करने में जापान मॉडल की बड़ी भूमिका रही है. जापान मॉडल की खास तकनीकी पर बनकर काशी विद्यापीठ ने अपने 100 साल का सफर पूरा करते हुए बापू के सपने को साकार किया है.
जापानी मॉडल पर रखी विद्यापीठ की आधारशिला: इस बारे में विद्यापीठ के इतिहास विभाग के पूर्व प्रोफेसर रवि शंकर पांडेय ने बताया कि बाबू शिवप्रसाद गुप्त जब पृथ्वी प्रदक्षिणा पर थे, तो वह जापान पहुंचे. उन्होंने जापान में एक अद्भुत संस्था देखी, जो बिना किसी सरकार के सहयोग से चल रही थी.1919 के समय जापान में एक अलग राष्ट्रवाद था, जहां जापानी समाज व जापान सरकार एक दूसरे पर आत्मनिर्भर थे. बिना सरकार के अनुदान से वहां कोई भी संस्था संचालित नहीं होती थी.
भारत का पहला महिला विश्वविद्यालय बना: ऐसे समय में बिना अनुदान के चलने वाली इस संस्था से शिवप्रसाद इतने प्रभावित हुए कि वह संस्था में गए और उसके बारे में विस्तार से जाना. इसके बाद उन्होंने वहां का पाठ्यक्रम लिया और महर्षी करवे को भेजा. इसके बाद 1919 में महर्षी करवे ने उसी पाठ्यक्रम को आधार मानकर एसएसडीडी महाराष्ट्र में महिला विश्वविद्यालय खोला, जो भारत का पहला महिला विश्वविद्यालय(India first women university) बना.
गांधीजी बने प्रेरणा स्रोत बाबू शिवप्रसाद ने की स्थापना: प्रो. रवि शंकर ने बताया कि जब बाबू शिवप्रसाद वाराणसी पहुंचे. तब उन्होंने इसी पाठ्यक्रम के आधार पर वैसे ही एक संस्था यहां खोलने का मन बनाया. क्योंकि 1919 में भारत में ब्रिटिश उपनिवेश था. आजादी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था. शिव प्रसाद गुप्त जैसे क्रांतिकारी नहीं चाहते थे कि हम जिन विदेशियों के खिलाफ बिगुल फूंक रहे हैं. उनकी अनुदान से किसी भी शिक्षण संस्था को संचालित करें.
1921 में की गई विद्यापीठ की स्थापना: वह जापान के शिक्षण संस्थान के अनुसार भारत में शिक्षण संस्थान को संचालित करने का प्रण लेकर वो महात्मा गांधी के पास गए. उस समय महात्मा गांधी व बाबू गुप्त ने विचारों का आदान-प्रदान किया और एक बिंदु पर सहमति हुई. उसके बाद गांधीजी प्रेरणा स्रोत बने और शिवप्रसाद संस्थापक बने और काशी में जापान के शिक्षा मॉडल पर काशी विद्यापीठ की स्थापना की 10 फरवरी 1921 को की गई.(Establishment of Kashi Vidyapeeth on education model of Japan)
एक वर्ष तक एक मकान में हुआ संचालन:बापू के विद्यापीठ स्थापना का संकल्प मील का पत्थर साबित हुआ. जो आज भी विद्यार्थियों के सुनहरे भविष्य का निर्माण कर रहा है. प्रो पांडेय बताते है कि आज इतने बड़े परिसर में संचालित होने वाला विश्वविद्यालय 1919 में सबसे पहले भदैनी में तिवारी जी के मकान में एक वर्ष तक संचालित हुआ. इसके बाद झक्कड़ साव बगीचा जो अभी वर्तमान कैंपस है, उसे बाबू शिवप्रसाद ने खरीदा.



1994 में बदला गया काशी विद्यापीठ का नाम:इसके बाद हरिप्रसाद शिक्षण निधि बनाया और उसी निधि से इस संस्थान को संचालित करने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि 1962 तक यह उसी प्रारूप में चला. 1963 में यह डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी बना और जब पंडित कमलापति त्रिपाठी मुख्यमंत्री बने. तब 1975 में यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त किया. अपने विकास यात्रा के क्रम में आगे बढ़ते हुए. 1994 में इसका नाम काशी विद्यापीठ से बदलकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखा गया, जो आज अपने विकास यात्रा के 100 वर्ष पूरे कर चुका है.


पूर्वांचल का है सबसे बड़ा विश्वविद्यालय:विद्यापीठ उत्तर प्रदेश में राज्य विश्वविद्यालय के तौर पर जाना जाता है. पूर्वांचल में इसे उच्च शिक्षा की संजीवनी कहा जाता है. इस बारे में ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुनील विश्वकर्मा बताते हैं कि विद्यापीठ पूर्वांचल का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है. लाखों की संख्या में विद्यार्थी प्रतिवर्ष डिग्री लेते हैं. उन्होंने बताया कि इससे लगभग 350 महाविद्यालय सम्बद्ध हैं. वाराणसी के आसपास के 5 जनपदों से विद्यार्थी आप पढ़ने के लिए आते हैं. यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.


क्रांतिकारियों ने यहां शिक्षा की है ग्रहण:उन्होंने बताया कि जब बीएचयू व अन्य शिक्षण संस्थानों से क्रांतिकारियों को बाहर निकाल दिया गया और उन्हें शिक्षा देने से मना कर दिया गया तो उस सभी क्रांतिकारी विद्यापीठ में आकर के शिक्षा ग्रहण करने लगे. इसलिए इस विश्वविद्यालय को क्रांतिकारियों का भी विश्वविद्यालय कहा जाता है.सभी क्रांतिकारी यही हॉस्टल में रहते थे और शिक्षा ग्रहण करते थे.इस विश्वविद्यालय में रामकृष्ण हेगड़े, चंद्रशेखर आजाद, राजाराम,कलराज मिश्रा, लाल बहादुर शास्त्री, कमलापति त्रिपाठी जैसे वीर सपूतों ने शिक्षा ग्रहण की है.


यह भी पढ़ें:गांधी जयंती: सीएम योगी, डिप्टी सीएम पाठक ने दी श्रद्धांजलि, चरखा चलाकर बापू को किया याद

यह भी पढ़ें:गेस्ट प्रोफेसर का मां दुर्गा पर आपत्तिजनक पोस्ट, काशी विद्यापीठ के छात्रों ने किया हंगामा

ABOUT THE AUTHOR

...view details