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Mahashmashan Manikarnika: मोक्ष के घाट का अलग होगा ठाठ, अंतिम स्नान के लिये गंगा आएंगी ऊपर

वाराणसी महाश्मशान मणिकर्णिका (Varanasi Mahashmashan Manikarnika) घाट के स्वरूप को बदलने के लिए हाईटेक तरीके का महाश्मशान घाट बनाने की तैयारी की जा रही है. इसके अलावा विदेशों में बैठे लोग अपनों का दाह संस्कार की क्रिया को डिजिटल तरीके से एक लिंक के माध्यम से देख सकते हैं.

वाराणसी महाश्मशान मणिकर्णिका
वाराणसी महाश्मशान मणिकर्णिका

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Published : Mar 15, 2023, 8:55 PM IST

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया.

वाराणसी: बनारस की पहचान यहां के खानपान, रहन-सहन, बाबा विश्वनाथ मंदिर और गंगा की आरती से है. इस शहर को मोक्ष की नगरी के रूप में भी जाना जाता है. यहां महाश्मशान मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर बड़ी संख्या में लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं. लेकिन दूर-दूर से आने वाले लोगों को घाटों पर पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ये परेशानियां लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा देती हैं. लेकिन आने वाले समय में यूपी के अंदर अपने आप में अनूठा और हाईटेक तरीके का महाश्मशान तैयार करने की तैयारी की गई है. आखिर महाश्मशान हाईटेक कैसे हो सकता है. लेकिन ऐसा ही होना है. क्योंकि काशी विश्वनाथ धाम के ठीक बगल में मौजूद मणिकर्णिका घाट को विश्वनाथ धाम के हिसाब से डेवेलप करने की प्लानिंग पहले से ही की जा चुकी थी. अब इसे पूर्ण करने की तैयारी की जा रही है. इस बारे में नगर निगम और स्मार्ट सिटी को बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी गई है.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी सिंह का कहना है कि इसे लेकर आला अधिकारियों के साथ कई बैठक हुई है. इसे खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मणिकर्णिका घाट के स्वरूप को बदलने की बात कह चुके हैं. इसी प्लान को देखते हुए मणिकर्णिका घाट का एक नया स्वरूप जल्द देखने को मिलेगा. इसके लिए स्मार्ट सिटी और सीएसआर फंड की मदद से महाश्मशान मणिकर्णिका पर कई बड़े काम किए जाने हैं.

शवदाह गृह के लिए बनेंगे 50 प्लेटफार्मःनगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गुलाबी पत्थरों से घाट के स्वरूप को बदला जाएगा. यहां स्थित एक पुरानी धर्मशाला की जगह वेटिंग रूम और यात्रियों के रुकने की व्यवस्था के लिए गेस्ट हाउस बनाए जाने की तैयारी की जा रही है. इसके अतिरिक्त यहां शवदाह के लिए अभी सिर्फ 18 प्लेटफार्म हैं. जो ज्यादा भीड़ होने की कंडीशन में बड़ी मुसीबत का सबब बन जाते हैं. बाढ़ की स्थिति में या फिर शवों की संख्या ज्यादा होने की कंडीशन में वेटिंग की स्थिति दिखाई देती है. यहां अब ऐसे प्लेटफार्म तैयार करवाए जा रहे हैं जो कम लकड़ी की खपत के साथ डेड बॉडी के अंतिम संस्कार का कार्य पूर्ण करेंगे. ऐसे लगभग 9 मन लकड़ी का इस्तेमाल एक शव के दाह संस्कार में होता है. लेकिन नई व्यवस्था के तहत बनाए जाने वाले प्लेटफार्म में लकड़ी की खपत कम हो जाएगी. यहां कम लकड़ी की खपत में ही दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सकेगा. यहां शुरुआत में ही 50 प्लेटफार्म बनाए जाने की सहमति बनी है.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा अभी जितनी भी डेड बॉडी आती है. उन्हें अंतिम स्नान करवाने के लिए सीढ़ियों से होते हुए नीचे ले जाया जाता है. जो परिवार के लोगों के साथ ही अंतिम क्रिया में भी काफी समस्याओं को पैदा करती हैं. इसलिए यहां गंगा का पानी अपलिफ्ट कर ऊपर ही एक ऐसा कुंड या सरोवर तैयार करेंगे. जहां डेड बॉडीज को सीधे स्नान करवाकर अंतिम क्रिया को पूर्ण किया जा सके.


दाह संस्कार होगा डिजिटलःइसके अतिरिक्त दूर-दूर से आने वाले लोग या फिर विदेशों में बैठे लोग कई बार अपनों का दाह संस्कार या फिर अंतिम क्रिया को देखने की इच्छा जाहिर करते हैं. उसके लिए भी डिजिटल तरीके से ऑनलाइन लिंक के जरिए यह सेवा उन्हें उपलब्ध करवाई जा सकेगी. इसके लिए कुछ एजेंसियों से बात की जा रही है. इसके अलावा सड़क के की गलियों से होकर मणिकर्णिका तक पहुंचने के रास्तों का सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है.

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